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शिवरात्रि संगीत समारोह में स्वप्न सुंदरी का नृत्य व पाश्चात्य संगीत के संगम देख अभिभूत हुए श्रोता



 18/Feb/23

वाराणसी के 32 वें शिवरात्रि संगीत महोत्सव की पहली निशा भारतीय शास्त्रीय संगीत एवं पाश्चात्य संगीत के अद्धभुत संगम का साक्षी बना । दुर्गाकुंड स्थित श्री हनुमान प्रसाद पोद्दार अंध विद्यालय के प्रांगण में सेठ किशोरीलाल जालान सेवा ट्रस्ट के तत्वावधान में प्रख्यात संत रमेश भाई ओझा के पावन सानिध्य में आयोजित शिवरात्रि संगीत महोत्सव के प्रथम दिन 17 फरवरी शुक्रवार  को राष्ट्रीय - अंतरराष्ट्रीय स्तर के कलाकारों ने भगवान नटराज को संगीत से श्रद्धासुमन अर्पित किया।
पहली प्रस्तुति अंतरराष्ट्रीय बैंड नेकर गंगा की रही, जिसमें भारतीय एवं पाश्चत्य संगीत का अद्भुत संगम दिखाई पड़ा। वाराणसी के डॉ. संदीप राव केवले के तबला, श्याम रस्तोगी के सितार वादन के साथ जर्मनी के स्टीफन डिस्क्स के सैक्सोफोन, जोनाथन सेल के बेस गिटार तथा पीटर हिंज के परकशन की शानदार प्रस्तुति से शिवरात्रि संगीत महोत्सव की प्रथम निशा में श्रोता मंत्रमुग्ध हो गए। उन्होंने सबसे पहले राग जजवंती  में निबद्ध गंगा पाथ प्रस्तुत किया, उसके बाद राग जोग और गावति में निबद्ध बनारस ब्लूज, राग हंस ध्वनि में स्वनाद प्रस्तुत किया। राग मिश्र काफी में पैरलल कंफुजन प्रस्तुत किया जिसमें जैज के हाफ टोन की जबरदस्त प्रस्तुति हुई। अंत मे राग काफ में मीट अगेन की मनमोह लेने वाली प्रस्तुति हुई।
दूसरी प्रस्तुति उपशास्त्रीय गायक भगीरथ जालान के गायन की रही, उन्होंने सबसे पहले राग हंस ध्वनि में गणेश वंदना प्रस्तुत की तथा तराना भी प्रस्तुत किया। उसके बाद राग केदार में तीन ताल में निबद्ध बंदिश 'कान्हा हे नंद नंदना' के उपरान्त राग तिलक कमोद में बंदिश की ठुमरी 'रोको ना डगर मोहे श्याम' प्रस्तुत किया। अन्त में प्रख्यात होली गीत 'खेले मसाने में होरी दिगम्बर' प्रस्तुत कर उपस्थित श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। उनके साथ तबले पर ललित कुमार, हारमोनियम पर उज्ज्वल साहनी एवं काजोल तथा अंजली ने तानपुरे पर संगत की। 
तीसरी प्रस्तुति प्रख्यात शास्त्रीय नृत्यांगना पद्मभूषण स्वप्न सुंदरी के कुचिपुड़ी नृत्य की रही। उन्होंने काशी विश्वनाथ, माँ अन्नपूर्णा एवं माँ विशालाक्षी पर आधारित विशेष प्रस्तुतियों से सम्पूर्ण वातावरण भक्तिमय बना दिया। इसके अलावा उन्होंने गंगा अवतरण, बाली हरणम आदि की प्रस्तुति भरतनाट्यम, कुचिपुड़ी एवं विलासिनी नाट्यम की प्रस्तुत कर उपस्थित दर्शकों को भाव विभोर कर दिया।
अन्त में हैदराबाद से आये संजय जोशी के साथ शिव आराधना पर आधारित ईशान ताल की प्रस्तुति दी। उनके साथ मालविका अरोड़ा, युक्ति कालरा एवं श्रेष्ठा हरिहरन ने संगत किया।
इससे पूर्व महोत्सव का शुभारंभ प्रख्यात संत रमेश भाई ओझा ' भाई श्री' द्वारा दीप प्रज्ज्वलित कर हुआ। इस अवसर पर मुख्य रूप से पद्म विभूषण पं. छन्नूलाल मिश्र, किशन जालान, केशव जालान, सत्यनारायण झुनझुनवाला आदि उपस्थित रहे। संचालन सौरभ चक्रवर्ती ने किया।


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