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कोरिया के बौद्ध बन्धुओ की धम्मयात्रा का वाराणसी से शुभारम्भ गर्व का विषय : डॉ. दयाशंकर मिश्र, दयालु



 11/Feb/23

वाराणसी दक्षिण कोरिया और भारत के राजनायिक सम्बन्धों की अर्धशताब्दी की पूर्ति के अवसर पर दोनों देशों में परस्पर सहयोग व मैत्री को और सुदृढ़ करने एवं दोनों देशों में परस्पर शान्ति की अपेक्षा से प्रार्थना आयोजित करने का यह अभिनव आयोजन दोनों देशों के परस्पर सहयोग से हो रहा है। दक्षिण कोरिया के जोग्ये बौद्ध संघ के 108 भिक्खुओं का संघ भगवान बुद्ध की जन्मस्थली लुम्बिनी, नेपाल सहित महापरिनिर्वाण स्थली कुशीनगर तक सम्पूर्ण चारिका पथ की पैदल यात्रा करेगा। इस पावन आयोजन का शुभारम्भ धम्मचक्क पवत्तन भूमि सारनाथ से आज शनिवार को धम्मेक स्तूप पर पूजा प्रार्थना के साथ हुआ। शुभारम्भ के अवसर पर उत्तर प्रदेश पर्यटन विभाग ने कोरिया के बौद्ध बन्धुओं का भव्य स्वागत किया। 108 भिक्खुओं के संघ का स्वागत 108 मीटर के धम्मध्वजा के साथ किया गया। स्वागत समारोह में उत्तर प्रदेश सरकार के आयुष मंत्री डॉ दयाशंकर मिश्र 'दयालु' भारत में कोरिया के राजदूत चुंग जाए बाॅक, दूतावास प्रथम सचिव सुश्री पार्क, अन्य अधिकारी आह्न ह्ये सुन  उत्तर प्रदेश पर्यटन विभाग की ओर से पर्यटन अधिकारी कीर्तिमान श्रीवास्तव, अपर जिलाधिकारी गुलाब चन्द्र, आयुष मंत्री के पीआरओ गौरव राठी अरुण  पांडेय संतोष सैनी जितेंद्र कुशवाहा आदि लोग उपस्थित थे।

सर्वप्रथम कोरिया के जोग्ये बौद्ध संघ प्रमुख परम पूज्य जा स्युंग को पुष्पगुच्छ देकर आशीर्वाद लिया गया। उत्तर प्रदेश के राज्य मंत्री (स्वतन्त्र प्रभार) आयुष, खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन  विभाग  डॉक्टर दयाशंकर मिश्र 'दयालू' ने इस अवसर पर अपने स्वागत सम्बोधन मे "सर्वप्रथम भगवान बुद्ध की पावन भूमि सारनाथ में अपने देश और प्रदेश की ओर से सबका हार्दिक स्वागत करते हुए कहा कि सारनाथ से ही भगवान गौतम बुद्ध ने अपनी धम्मयात्रा शुरू की थी, अपना पहला उपदेश यहीं दिया था, धर्म चक्र प्रवर्तन किया था। और इसी पावन स्थान से आप अपनी 43 दिवसीय पैदल धम्मयात्रा का शुभारम्भ कर रहे हैं, यह प्रतीकात्मक भी है। इसके लिए उन्होंने सबको बधाई दी। उन्होंने कहा कि वाराणसी, यह विश्व का प्राचीनतम शहर है। यह ऐसी पावन नगरी है, काशी जहाँ लोग मरने की अभिलाषा करते है, जहाँ लोग मर जाना भी शुभ मानते हैं। यह  हमारे यशस्वी प्रधानमंत्री मा. नरेन्द्र मोदी जीका निर्वाचन क्षेत्र है। उन्होंने विश्व की इस प्राचीनतम नगरी को विश्व के मानचित्र पर आधुनिकतम नगरी बना कर प्रस्तुत कर दिया है। बौद्ध ग्रन्थ ऐसा भी साक्ष्य देते हैं कि आगामी बुद्ध मैत्रेय का जन्म इसी नगरी में होगा। इसलिए भी यहाँ आपका स्वागत है। इस अभिनव पदयात्रा का आयोजन भारत और दक्षिण कोरिया के राजनायिक सम्बन्धों की अर्धशताब्दी पूरी होने के उपलक्ष्य उभय राष्ट्रों के सम्बन्धों को प्रगाढ़ता प्रदान करने के हेतु से हो रही है। सम्बन्धों को प्रगाढ़ बनाने के लिए जब प्रयास संतगण करते हैं तो उसके अर्थ दिव्य हो जाते हैं। इतिहास के झरोखे का उद्धरण करते हुए उन्होंने कहा कि कोरिया के बौद्ध जोग्ये संघ के उद्गम की जड़ें भारत में हैं। भारत के बौद्ध आचार्य बोधिधम्म बुद्ध के धम्म को चीन लेकर गये थे। चीन में उनके शिष्य हुई-नेंग के माध्यम से बुद्ध की ध्यान परम्परा ने कोरिया में प्रवेश किया। आपकी ध्यान परम्परा सिओन का उद्गम स्थल श्रावस्ती है जहाँ आपकी यात्रा का उपसंहार हो रहा है। इस मायने में आप विदेश में नहीं आएं हैं बल्कि अपने आध्यात्मिक पुरखों के घर आए हैं। आपका अपने घर में स्वागत है। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री स्वयं जोगी हैं- योगी श्री आदित्यनाथ। मुख्यमंत्री ने जोग्ये संघ को सफल, सु़रक्षित, स्वस्थ धम्मयात्रा की हार्दिक शुभकामनाएं दी हैं। मेरे संज्ञान में आया है कि इस धम्मयात्रा के आयोजक सैंगवोल सोसायटी इण्डिया पिल्ग्रिमेज है। 43 दिन तक चलने वाली इस धम्मयात्रा का सारनाथ के बाद अगला पड़ाव भगवान की बुद्धत्व भूमि बोधगया होगा। तदोपरान्त यह पैदल चारिका धम्मयात्रा नालन्दा, राजगीर, गृद्धकूट पर्वत, वैशाली से होते हुए कुशीनगर के साथ पुन: उत्तर प्रदेश में प्रवेश करेगी। कुशीनगर से भगवान की जन्मस्थली लुम्बिनी, नेपाल में पूजा-अर्चना के उपरान्त पुन: उत्तर प्रदेश में कपिलवस्तु के दर्शन करते हुए श्रावस्ती में पूरी होगी। इस बीच यह पावन संघ 43 दिन की पदयात्रा में लगभग एक हजार किलोमीटर से अधिक भूमि नापेगा। मैं मुख्यमंत्री से निवेदन करूँगा कि इस यात्रा की उपसंहार स्थली श्रावस्ती अथवा इससे पूर्व कुशीनगर अथवा प्रस्थान स्थली लखनऊ में पावन पुवीत जोग्ये संघ के दर्शन करें।" सैंगवोल सोसायटी इण्डिया पिल्ग्रिमेज ने यात्रा को नारा दिया है-अरे, हम! अरे, प्यार! अरे, जीवन! और ध्येय वाक्य है- जीवन, मैं तुमको प्यार करता हूँ।


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