नागरी नाटक मंडली कबीरचौरा वाराणसी में उत्तर प्रदेश संगीत नाटक अकादमी के तत्वावधान में ठुमरी साम्राजी पद्मविभूषण विदुषी श्रीमती गिरिजा देवी जी की स्मृति में आयोजित सांगीतिक कार्यक्रम पुष्पांजलि का आयोजन हुआ। जिसका शुभारंभ मुख्य अतिथि के रूप में सुविख्यात कलाकार पद्मश्री पं. राजेश्वर आचार्य ने दीप प्रज्ज्वलित कर किया। अपने उद्बोधन में डॉ. राजेश्वर आचार्य ने भारतीय महिलाओं के लिये संगीत को गंभीर विषय के रूप में स्थापित करने के संघर्ष में पद्मविभूषण श्रीमती गिरिजा देवी जी के योगदान का स्मरण करते हुए उनकी यशकाया को प्रेरणा पूंज बताया और कहा कि उनका जीवन साधना से सिद्धि का उदाहरण है और नारी सम्मान को प्रतिष्ठित करने में उनका योगदान अविस्मरणीय है। इस अवसर पर उत्तर प्रदेश संगीत नाटक अकादमी के निदेशक तरुण राज ने इस पुष्पांजली आयोजन को उत्तर प्रदेश सरकार के संस्कृति और संगीत के संवर्धन के अभियान का भाग बताया।
कार्यक्रम की प्रथम प्रस्तुति के रूप में वाराणसी की युवा कलाकार अलंकृता राय ने गायन प्रस्तुत किया। उनके साथ तबला संगति रही अशेष नारायण मिश्र की एवं संवादिनी पर साथ दिया मोहित साहनी ने। इसी क्रम अलंकृता ने विदुषी गिरिजा देवी जी का प्रिय दादरा प्रस्तुत किया बोल थे श्याम तोरे नजरिया लग जायेगी। द्वितीय कार्यक्रम वाराणसी के ख्यात कलाकार पं. देवाशीष डे ने विदुषी श्रीमती गिरिजा देवी की स्मृति में गायन समर्पित किया। उनके साथ तबला संगति रही पं. किशोर मिश्र की एवं संवादिनी पर साथ दिया हर्षित उपाध्याय ने एवं सारंगी पर साथ अंकित कुमार मिश्र ने दिया साथ गायन में साथ दिया पं. देवाशीष डे के सुपुत्र डॉ. शुभंकर डे ने। कार्यक्रम की अंतिम प्रस्तुति रही पुणे से पधारी कलाकार सानिया पाटणकर के गायन की। जिनके साथ तबला संगति रही पं. पुंडलीक कृष्ण भागवत की एवं संवादिनी पर साथ दिया पं. रामचंद्र भागवत ने। सानिया ने गायन का आरंभ किया राग भूप नट में निबद्ध विलंबित तीनताल में निबद्ध बंदिश से जिसे सुनकर लोग विभोर हुए। बंदिश के बोल थे मालनिया लायी।
इसके ऊपरन्त पद्मविभूषण विदुषी किशोरी अमोनकर द्वारा रचित द्रुत तीनताल में निबद्व बंदिश सुनाया बोल थे जा जा रे पपीहा इसी राग में निबद्ध सरगम गीत भी सुनाया अंत मे विशेष रूप से विदुषी गिरिजा देवी जी की स्मृति को समर्पित राग काफी में पस्तो ताल में टप्पा सुनाया जिसके बोल थे आओ मियां जाने वाले।
कार्यक्रम का कुशल संचालन रंगकर्मी निर्देशक व्योमेश शुक्ला ने किया। कार्यक्रम में विशिष्ट उपस्थिति रही डीसीपी काशी वाराणसी रामसेवक गौतम, साथ ही काशी के विविध कलाप्रेमी उपस्थित रहे जिनमे प्रमुख थे। ख्यात वॉयलिन वादक कलाकार पं. सुखदेव मिश्र तथा युवा गायक आशीष मिश्र, कलाकार डॉ. प्रीतेश आचार्य तथा युवा कथक नर्तक सौरव गौरव मिश्र तथा विदूषी श्रीमती गिरिजा देवी जी के सुयोग्य शिष्य रोहित मिश्र आदि प्रमुख रहे।