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पीएनयू क्लब पर जीएसटी छापे में एक करोड़ का नहीं मिला हिसाब



 30/Dec/22

राज्य जीएसटी की टीम ने वाराणसी के द प्रभु नारायण यूनियन क्लब पीएनयू क्लब पर छापा मारा और तमाम दस्तावेज भी जब्त कर लिया । छापा मारने वाली टीम का दावा है कि क्लब ने 18 लाख रुपये नहीं जमा कराए हैं । लिहाजाए जुर्माना वसूला जाएगा । इसकी जानकारी क्लब प्रबंधन को दी जा चुकी है । पदाधिकारियों ने जुर्माना राशि जमा कराने का भरोसा दिलाया है।

साल 2020 में जीएसटी कॉउंन्सिल ने क्‍लबों को जीएसटी के दायरे में शामिल किया था । लेकिन तब पीएनयू क्‍लब प्रबंधन ने पंजीकरण नहीं कराया था। क्‍लब ने पीछले महीनें पंजीकरण लिया था । ऐसे में एक अप्रैल 2022 से नवम्‍बर के मध्‍य तक सदस्‍यों की फीस के रूप में हुई आय पर टैक्‍स नहीं दिया गया था। स्‍टेट जीएसटी विभाग पीछले पॉंच वर्षों की बहीखाते भी जॉंचेगा पीछले साल क्‍लबों को जीएसटी के दायरे में लाने का विरोध हुआ था। क्‍लब की सदस्‍यों की जमा राशि से सन्‍चालित  गतिविधि को सेवा के दायेरे में लाने का तर्क दिया गया था।

एडिशनल कमिश्नर सेल्स टैक्स प्रदीप कुमार के मुताबिक क्लब की ओर से सदस्यों को सुविधाएं दीं जातीं हैं। लेकिन इसके लिए किसी तरह का जीएसटी नहीं दिया जाता है। छापे के दौरान क्लब की सुविधाओं सदस्यों की संख्या वाले रजिस्टर, लेनदेन के लिए बैंक खातों की जांच, कार्यक्रमों के लिए वसूले जाने वाले शुल्क सहित अन्य अभिलेखों की जांच की गई ।

एडिशनल कमिश्नर के मुताबिक, छानबीन से पता चला कि एक करोड़ रुपये का कोई हिसाब नहीं दिया गया है । इस पर 18 लाख रुपये जीएसटी लगता है । इसे हर हाल में हाल में वसूला जाएगा । एडिशनल कमिश्नर ग्रेड वन प्रदीप कुमार ने कहा कि  पीएनयू क्लब में जिन दस्तावेजों की जांच की गई। उसमें 18 लाख रुपये कम जीएसटी जमा कराने का मामला सामने आया है। क्लब के पदाधिकारियों से इसकी जानकारी दी गई है। साथ ही जल्द ही बकाया धनराशि जमा कराने का लक्ष्य दिया गया है। यदि जीएसटी नहीं जमा कराई गई तो कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

पीएनयू क्लब के अध्यक्ष अंबुज किशोर नारायण ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने जनवरी 2022 से क्लबों के लिए नियम बदला है। जीएसटी की टीम रूटीन जांच के तहत आई थी। कम जीएसटी जमा कराने जैसी कोई बात नहीं है।


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