सामाजिक संस्था प्रबुद्धजन काशी की गूगल मीट पर वर्चुअल बैठक हुई। बैठक सेवानिवृत्त न्यायाधीश डॉ. राजनारायण सिंह की अध्यक्षता में प्रबुद्धजनों ने उम्रकैद की सजा भुगत रहे उपनिरीक्षक शैलेन्द्र सिंह को सांविधानिक रूप से न्याय दिलाने के लिए विमर्श किया। सात साल पुराने मामले की पैरवी कर रहे सेवानिवृत्त जज ने कहा कि उपनिरीक्षक शैलेन्द्र सिंह प्रकरण में रायबरेली कोर्ट के निर्णय में अनेक खामी है। न्यायालय में मृतक के एडवोकेट होने कोई वैधानिक प्रमाण कोर्ट में प्रस्तुत नहीं है। मामले को पुलिस बनाम वकील बनाने के लिए मृतक को एडवोकेट बताया गया है। इस केस में गवाह स्वतंत्र निष्पक्ष नहीं है। मृतक के पिता भाई की मनगढ़ंत गवाही व उनके द्वारा न्यायालय में प्रस्तुत मनगढ़त तथ्यों के आधार पर जिला कोर्ट ने फैसला सुनाया है। मनगढ़त गवाही के कारण निर्दोष उम्रकैद की सजा भुगते। यह विधि के अनुसार अन्याय है। उन्होंने कहा कि ड्यूटी के दौरान लाइसेंसी हथियार से प्रतिकार कर आत्मरक्षा पुलिस का अधिकार है। इन्हीं बिंदुओं के आधार पर हाईकोर्ट लखनऊ बेंच में रायबरेली कोर्ट के फैसले को चुनौती दिया गया है। याचिका उच्च न्यायालय में दाखिल हो गया है अपीलकर्ता ने बताया कि हाईकोर्ट में दाखिल याचिका में प्रकरण से जुड़े साक्ष्यों और असल चश्मदीद गवाहों के बयान की पुन: विवेचना व इंस्पेक्टर शैलेन्द्र सिंह की रिहाई की अपील की गई है। उन्होंने प्रबुद्धजन काशी की मुहिम की सराहना करते हुए कहा कि संस्था के प्रयास से पीड़ित दरोगा व उनके परिवार को न्याय मिलेगा। उन्होंने इस मुहिम से जोड़ने के लिए काशी के प्रबुद्धजनों का आभार जताया। बैठक में विधि विशेषज्ञ डॉ. सर्वजीत शाही ने प्रकरण से जुड़े सभी रिपोर्ट की विवेचना प्रस्तुत की। संस्था के संस्थापक संजय सिंह गौतम ने बताया कि निर्दोष दरोगा को मिले न्याय मुहिम को करणी सेना ने समर्थन दिया है। बैठक में करणी सेना के प्रदेश अध्यक्ष राकेश सिंह ने सब इंस्पेक्टर प्रकरण में हरसंभव मदद करने की घोषणा की। गौरतलब हो कि 11 मार्च 2015 को प्रयागराज के शंकरगढ़ क्षेत्र की नारीबारी चौकी में तैनात दरोगा शैलेन्द्र सिंह एक मामले में गवाही देने कचहरी गए थे। वहां किसी बात पर तथाकथित अधिवक्ता नबीं अहमद से कहासुनी हो गई। साथी अधिवक्ताओं ने दरोगा की पिटाई शुरू कर दी थी। बचाव में दरोगा शैलेन्द्र सिंह ने आत्मरक्षार्थ लाइसेंसी रिवाल्वर से फायरिंग से कर दी थी। गोली नबी अहमद (32) को जा लगी थी। इलाज के दौरान तथाकथित अधिवक्ता नबी अहमद की मौत हो गई थी। इस प्रकरण की सुनवाई करते हुए रायबरेली जिला जज अब्दुल शाहिद ने दरोगा शैलेन्द्र सिंह को आजीवन कारावास की सजा दी थी। 20 हजार का जुर्माना लगाया था। दूसरे आरोपी को रिहा कर दिया था। पिछले सप्ताह संस्था का एक प्रतिनिधिमंडल अमेठी कारागार में पीड़ित सब इंस्पेक्टर शैलेन्द्र सिंह से मुलाकात कर मुहिम की जानकारी दी थी।
वर्चुअल बैठक में मनीराम,ऋषभ श्रीवास्तव, राहुल सिंह, रविप्रकाश सिंह, अरूण कुमार सिंह, किरन सिंह, वीरेंद्र मौर्य, मुकेश श्रीवास्तव, राम विजय सिंह, शिप्रा उपाध्याय आदि गणमान्य जुड़े रहे।