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ललित कलाओं में निहित है एकरूपता की सिध्दि : प्रो मंजूला चतुर्वेदी



 24/Dec/22

कला के माध्यम से मानवीय संवेदना दिखती है : डॉ. अशोक कुमार सिंह

बड़ालालपुर स्थित जीवनदीप महाविद्यालय में शनिवार को बी. एफ. ए. के नव - आगंतुक छात्रों का फ्रेशर्स पार्टी व एम.एफ.ए. फाइनल ईयर के विद्यार्थियों का विदाई समारोह का आयोजन किया गया। इस मौके पर समारोह की मुख्य अतिथि पूर्व विभागाध्यक्ष ललित कला विभाग, काशी विद्यापीठ, प्रो मंजूला चतुर्वेदी ने अपने संबोधन में कहा कि ललित कला सिर्फ रंगों का रचनात्मक कौशल तक सीमित नहीं है, बल्कि इसमें विचारधारा की संयमित टकराहट स्पष्ट रूप से दिखाई देती है। ललित कला का स्वरूप प्राचीन काल से ही विद्यमान है। यह वह संचार है जो मानव की संवेदना व भावना को चित्रों के माध्यम से व्यक्त करती है।

समारोह की अध्यक्षता करते हुए जीवनदीप शिक्षण समूह के चेयरमैन डॉ अशोक कुमार सिंह ने कहा कि आज के इस एटॉमिक युग में जहां देश और समाज में आपसी टकरार प्रमुख चरित्र है तो वही कलात्मक एप्रोच से सामाजिक शांति, भाईचारे और आपसी एकता का पैगाम मिलता है। कला के माध्यम से राष्ट्रीय एकता की भावना विकसित होती है। ललित कलाओं के माध्यम से मानवीय संवेदनाओं का विकास सहज ही दिखाई पड़ता है। इस मौके पर विशिष्ट अतिथि अपर निदेशक चिकित्सा व परिवार कल्याण वाराणसी मंडल डॉ अंशु सिंह ने कहा की कला से ही व्यक्ति में सामाजिक चेतना का निर्णय होता है, कलाकार उस योगी की तरह होता है जो यौगिक क्रियाओं द्वारा शरीर, मन और इंद्रियों को नियंत्रित रखता है।

इस मौके पर ललित कला विभाग के विद्यार्थियों ने विभिन्न कार्यक्रमों की प्रस्तुति से लोगों का मन मोह लिया। समारोह में आए अतिथियों का स्वागत डॉक्टर दल सिंह प्रजापति ने तथा धन्यवाद ज्ञापन डॉ संजय कुमार सिंह ने किया। इस अवसर पर प्राचार्य डॉक्टर इंद्रदेश चंद्र सिंह, सम्बध्दता निदेशक शैलेश त्रिवेदी बबलू, डॉ अमित कुमार सिंह, सुदीप कुमार, अंशु कुमारी, राजेश कुमार, मीडिया प्रभारी रविश कुमार सहित सभी शिक्षक, कर्मचारी व विद्यार्थी उपस्थित रहे।


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