प्रयागराज। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने अब तक चर्चित नितेश सिंह 'बबलू' हत्याकांड में संतोषजनक परिणाम नही आने की वजह से कोर्ट ने सीबीसीआईडी को जांच करने का स्पष्ट निर्देश दिया है। यह आदेश कोर्ट ने नितेश सिंह बबलू के पुत्र अकलेश कुमार सिंह की याचिका पर सुनवाई के बाद दिया है। याचिका में कहा गया था कि इस हत्याकांड में पुलिस ने राजनीतिक दबाव मे सही ढंग से कार्य नही किया, आदेश में साफतौर पर देखा जा सकता है कि नितेश सिंह हत्याकांड में चंदौली, वाराणसी और जौनपुर के सफेदपोश शामिल हो सकते है, जिनका कही न कही सत्ता पक्ष में पकड़ है। इसलिए इस मामले की निष्पक्ष जांच जरुरी है। इस हत्याकांड के अहम शूटर गिरधारी लोहार को पुलिस ने लखनऊ में मुठभेड़ में मार गिराया था, जिसके बाद से यह केस ठंड बिस्तर पर पड़ गया था।
बतातें चले कि बीते 30 अक्टूबर 2019 को सारानाथ के लोहिया नगर के रहने वाले ठेकेदार नितेश सिंह उर्फ बबलू तहसील परिसर के पीछे के गेट से आये और अपनी फार्च्यूनर कार लखनऊ के नम्बर यूपी 32 ईई 0990 से पहुंचे और अपना मुकदमा देख वापस जाने लगे, वहां मौजूद दो बदमाशों ने अंधाधुंध गोलियां बरसाना शुरू कर दिया। नितेश अपने को संभाल पाते, इतने में बदमाशों ने उनके शरीर में आधा दर्जन से अधिक गोलियां दाग दीं। जिससे उनकी घटना स्थल पर ही मौत हो गयी। ठेकेदार के पास भी लाइसेंसी पिस्टल थी। नितेश सिंह उर्फ बबलू मूल रूप से चंदौली जिले के धानापुर के निवासी थे। तीन भाइयों में सबसे बड़े नितेश सिंह ठेकेदार और बस मालिक थे। रोजा और सहेली नाम से 8 बस गाजीपुर-बनारस रोड पर चलती हैं। इसके साथ ही कुछ बस बनारस-मध्य प्रदेश रोड पर चलती हैं। जानकारी के मुताबिक, नितेश सारनाथ थाने के हिस्ट्रीशीटर भी थे। एनसीएल में ठेकेदारी के साथ ही बस-ट्रक संचालन और प्रॉपर्टी डीलिंग का काम करते थे। नितेश का डॉ वीपी सिंह हत्याकांड में भी नाम शामिल था।