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निकाय चुनाव : कांग्रेस में मेयर के लिए ब्राह्मण, कायस्थ खत्री या फिर चौरसिया चेहरे की मांग



 20/Dec/22

वाराणसी में महापौर सीट अनारक्षित घोषित होने के साथ ही सभी पार्टियों में हलचल तेज हो गई है। सभी ने चुनाव को लेकर तैयारी तेज कर दी है। जल्द ही सभी राजनीतिक दल अपने पत्ते खोलेंगे। फिलहाल पार्टियों में बैठकों के जरिए आवेदन लेने की प्रक्रिया चल रही है। इसी के साथ ही पैरवी लखनऊ से लेकर दिल्ली तक हो रही है। अनारक्षित होने के चलते सभी जातियों के लिए इस बार खुला मैदान है। इस नाते उनके पैरोकार पैरवी में जुट गए हैं। कई दावेदार दिल्ली रवाना हो चुके हैं। भाजपा और सपा ने पहले ही दावेदारों के आवेदन लिए हैं, जबकि कांग्रेस की ओर से आवेदन लिए जा रहे हैं।

नगर निगम के चुनाव में महापौर पद के लिए प्रत्याशी के नाम को लेकर कांग्रेस में दुविधा की स्थिति है। महापौर की सीट अनारक्षित होने के कारण कांग्रेस ब्राह्मण या फिर कायस्थ चेहरे के साथ मैदान में उतरना चाहती हैं। एक धड़ा पार्टी के पुरनिए कायस्थ नेता को महापौर का प्रत्याशी घोषित करना चाहता हैं। वहीं दूसरा धड़ा समीकरणों को केंद्र में रखकर किसी ब्राह्मण चेहरे को उम्मीदवार बनाने के पक्ष में है। 

कांग्रेस पुरानी गलतियों से सबक लेते हुए नगर निगम चुनाव में नए तेवर के साथ मैदान में उतरने को तैयार है। कांग्रेस की ओर से फिलहाल अच्छे चेहरों पर मंथन चल रहा है। विधानसभा चुनाव में कई बार पार्टी के सिंबल पर चुनाव लड़ चुके एक वरिष्ठ नेता का नाम सबसे ऊपर चल रहा है। वहीं दूसरी तरफ कांग्रेस का एक धड़ा इस बार किसी बड़े परिवार के ब्राह्मण चेहरे को मैदान में उतारने के पक्ष में है। इसके लिए पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और यूपी प्रभारी प्रियंका गांधी को पत्र भेजा गया है।

बता दें कि 1995 में कांग्रेस ने डॉ. लक्ष्मी देवी, 2000 में मोहम्मद शेख शमीम, 2006 में चंद्र देव जायसवाल, 2012 में डॉ. अशोक सिंह, और 2017 में शालिनी यादव को महापौर का प्रत्याशी बनाया था। कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं व सलाहकारों का कहना है कि ब्राह्मण चेहरा को लड़ाने हो तो संकटमोचन मंदिर के महंत जी के परिवार से किसी को टिकट दिया जाये। कायस्थ मे होतो अनिल श्रीवास्तव, संजीव वर्मा व अनिल श्रीवास्तव अन्नू को। चौरसिया की बात होतो चंद्रशेखर चौरसिया के परिवार से जो 35 साल शहर कांग्रेश कमेटी के अध्यक्ष रहे हैं। साथ ही एक बार विधान परिषद सदस्य रह चुके हैं, उनके परिवार से किसी को टिकट दिया जाए तो चुनाव अच्छा लगेगा। खत्री की बात किया जाए तो पूर्व विधायक स्व. कैलाश टंडन के पुत्र अनुराग टंडन को मैदान में निकाला जाए। अगर इन लोगों का नाम दिया जाए तो कांग्रेस और भाजपा के बीच कांटे की टक्कर होगी। इनका लोगों का सुझाव उपयोगी हो सकता है। चुनाव अगर सभी के सहयोग से लड़ा जाएगा तो 1995 से अब तक 27 सालों की विफलताओं को दूर करने में सफलता मिलेगी।


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