इतिहास से भी पुरानी पावन नगरी काशी जहाँ निवास करने के लिए हिन्दू जन मानस के देवी देवता भी मचलते हैं। स्वयं भगवान शंकर ने काशी के पावन भूमि को अपना निवास बनाया।
काशी का कण-कण शंकर हैं। काशी उत्सवों की नगरी है। वर्ष पर्यंत यहाँ विश्व प्रसिद्ध भारत मिलाप नक्क्टेया, रामलीला, नागनथैया आदि कार्यक्रम होते रहते हैं। सन 1983 में शिव बारात समिति ने प्रथम बार शिवरात्रि पर्व पर शिव बारात निकाला। भगवान शंकर के विवाह त्रियुगी नारायन में होने के बाद काशी में सन 1983 में प्रथम शिव बारात "शिवोत्सव" के रूप में निकली गयी। शिव बारात समिति द्वारा। सन 1983 में निकाली गयी शिव बारात का भारत एवं विदेशों तक से संदेश गया। आज लगभग 20000 शिव बारात नेपाल मारीशस एवं भारत में प्रतिवर्ष निकली जाती हैं।
देश के यशस्वी प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र दामोदर दास मोदी जी ने 13 दिसंबर सन 2021 को काशी विश्वनाथ धाम का लोकार्पण करके पूरे विश्व में काशी के गौरव को बढ़ाया। श्री काशी विश्वनाथ धाम के लोकार्पण को एक वर्ष पूरा होने वाला हैं। नित्य लाखों दर्शनार्थी इस धाम का दर्शन करने आ रहे हैं।
13 दिसंबर सन 2022 ऐतिहासिक दिन बन गया। इस ऐतिहासिक दिन को शिव बारात समिति ने हर वर्ष " शिवोत्सव " के रूप में मनाने का निर्णय लिया हैं। 13 दिनसंबर 2022 को भी दोपहर 12 बजे मैदागिन से एक भव्य शोभायात्राकाशी के शिवभक्तों की तरफ से निकली जाएगी इस शोभायात्रा का विश्राम दोपहर 3 बजे लगभग डेढ़सी के पुल के पास होगा। इस शोभायात्रा में मिनी भारत का स्वरूप दिखाई पड़ेगा। काशी में रहने वाले विभिन्य राज्यो के आमजन काशी के विशिस्टजन, साहित्यकार, वकील, डॉक्टर, प्रबुद्धजन एवं आसाम, सोनभद्र, बुंदेलखंड एवं अन्य जगहों के लोक कलाकार शोभायात्रा में शामिल होंगे।
उपरोक्त जानकारी शिव बारात समिति के अध्यक्ष जगदम्बा तुलस्यान एवं मंत्री दिलीप सिंह ने संयुक्त रूप से दिया। पत्रकार वार्ता में शिव बारात समिति के पदाधिकारी सदस्य एवं अन्य विशिस्ट जन उपस्थित थें।