वाराणसी। राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने प्रभात मिश्रा इनकाउंटर के मामले में वाराणसी जिला न्यायालय के अधिवक्ता अंशुमान त्रिपाठी की याचिका पर पिछले वर्ष डीजीपी उत्तर प्रदेश, जिलाधिकारी कानपुर और एसएसपी कानपुर देहात से पोस्ट मॉर्टम रिपोर्ट बलास्टिक रिपोर्ट इन्क्वेस्ट रिपोर्ट तलब की थी। जिसके अनुपालन में उतर प्रदेश सरकार द्वारा मानवाधिकार आयोग में समस्त रिपोर्ट भेजी गयी थी। मानवाधिकार मामलों के जानकार अधिवक्ता अंशुमान त्रिपाठी ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग में शिकायत दर्ज करवाई की विकास दुबे गैंग का अपराधी बताकर प्रभात मिश्रा नामक 16 वर्षीय लड़के का इनकाउंटर एसटीएफ व कानपुर पुलिस ने पनकी कानपुर के समीप कर दिया था। पुलिस ने आरोप लगाया कि प्रभात हथकड़ी पहन कर भाग रहा था। जबकि प्रभात को पुलिस ने फरीदाबाद से गिरफ्तार किया था। अधिवक्ता ने आरोप लगाया है कि पुलिस के द्वारा डी के बसु व जोगिंदर कुमार केस में माननीय उचचतम न्यायालय द्वारा दिए गए निर्देशों का पालन पुलिस ने नहीं किया है। मानवाधिकार आयोग ने समस्त रिपोर्ट प्राप्त करने के बाद पूरे एन्काउन्टर की जांच व परीक्षण मानवाधिकार आयोग के डायरेक्टर जनरल इन्वीस्टीगेशन से कराने का आदेश 29 नवंबर 2022 को पारित किया तथा डी जी इन्वीस्टीगेशन से चार हफ्तों में रिपोर्ट मांगी है।