नजीर बनारसी के 113 वें जन्मदिन के उपल्क्षय में नसीर बनारसी एकेडमी और डॉ. अमृतलाल इश्रत मेमोरियल सोसायटी (नबीम ग्रुप) के तत्वाधान में आयोजित समारोह में वक्ताओं ने नजीर बनारसी की गंगा जमुनी शायरी के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा की और उन्हें एक महान शायर और काशी की विभूति बताया। इस अवसर पर नजीर साहब को देश की प्रसिद्ध हस्तियों द्वारा लिखित पत्रों और नजीर बनारसी की यादों पर आधारित किताब ‘ नजीर बनारसी यादों के आइने में ’ का विमोचन भी किया गया। इस अवसर पर अपने अध्यक्षीय भाषण में संकटमोचन मंदिर के महन्त विशम्भर नाथ मिश्र ने नजीर साहब और अपने स्वीगय पिता पंडित वीरभद्र मिश्रा मिश्राकी घनिष्ठता को बताते हुए कई यादों का उल्लेख किया और कहा कि शायर भले मर जाए लेकिन लेकिन उनके ख्यालात अैर विचार कभी नहीं मरते, वे शायरकी रचनाओं में जिन्दा रहते है।
दीपक मधोक ने भी नजीर बनारसी के जीवन और उनके शायरी पर प्रकाश डाला इस मौके पर दुर्गेश कुमार उपाध्याय ने नजीर बनारीसी की गजल पेशकर वाह वाही लुटी।
विमोचन के बाद अखिल भारतीय मुशायरा व कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया। मुशायरे का संचालन हेलाल बदायूनी ने किया। जिसमें माजिद देवबंदी, शाद अब्बासी, हरिराम द्विवेदी आदि ने अपनी रचनाओं से वाह वाही लूटी।
मेहमानों का स्वागत माल्यार्पण और शाल पेश करते हुए नजीर बनारसी एकेडमी के अध्यक्ष समीर अहमद, हाजी अब्दुल रुरूफ व अन्य ने किया।संचालन इशरत उस्मानी और धन्यवाद ज्ञापन रेयाज अहमद ने किया।