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सनबीम स्कूल भगवानपुर के वार्षिकोत्सव ‘सोच कल आज और कल’का हुआ भव्‍य कार्यक्रम



 21/Nov/22

हम निरंतर उसी मार्ग पर अग्रसर है जो हमारे पूर्वजों ने हमें दिखाई है। विद्यालय के 550 उत्साही बच्चों ने  ‘सोच-कल आज और कल’ वार्षिकोत्सव में अपने मन मोहक कार्यक्रमों के माध्यम से यह प्रदर्शित किया कि हम अपने अतीत के अनुभवों से सीख लेकर अपने वर्तमान को सुदृढ़ करते हुए मानवता हेतु स्वर्णिम भविष्य का निर्माण कर सकते हैं। इस आयोजन का शुभारंभ हर्षोल्लास के साथ सनबीम समूह के 50 वर्षों की स्वर्णिम आभा की झॉंकी प्रस्तुत करते हुए किया गया। इस अवसर के विशिष्ट अतिथि सनबीम शिक्षण समूह के अध्यक्ष डॉ. दीपक मधोक व निदेशिका श्रीमती भारती मधोक रहे।

सनबीम समूह की सहायक निदेशिका श्रीमती प्रतिमा गुप्ता ने उपस्थित समस्त गणमान्य अतिथियों व अभिभावकों का हार्दिक स्वागत एवं अभिनंदन किया। सांस्कृतिक कार्यक्रम से पूर्व काउन्सिल के सदस्यों द्वारा विद्यालय का वार्षिक रिपोर्ट प्रस्तुत किया गया।

मनमोहक सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आरम्भ ‘भावार्पण’के साथ ‘आर्केस्ट्रा संगीत’के माध्यम से हुआ। अगला कार्यक्रम ‘चिरंतन’श्री कृष्ण के विभिन्न लीलाओं का वर्तमान समय में उसकी प्रासंगिकता को प्रदर्शित करते हुए नन्हें-मुन्ने बच्चों के द्वारा प्रस्तुत किया गया। इसी क्रम में  ‘दर्पण’कार्यक्रम के माध्यम से वर्तमान समय में माता-पिता की सेवा हेतु श्रवण कुमार की भूमिका को दर्शाते हुए एक सामाजिक चिंता को व्यक्त करने का सराहनीय प्रयास किया गया। कार्यक्रम की अगली प्रस्तुति ‘प्रवर्तन’के माध्यम से आदिवासी लोकनृत्य से प्रारम्भ होकर आधुनिक नृत्य तक का सार्थक सफर प्रस्तुत किया गया। इसी के साथ ‘समर्पण’के माध्यम से यह दर्शाया गया कि आत्म बलिदान ही नहीं अपितु कोरोना-काल में लोगों के जीवन-रक्षार्थ डॉक्टरों के कार्य को भी देशभक्ति के भावना से ओत प्रोत एक महत्वपूर्ण कार्य दर्शाने का सफल प्रसाय किया गया। इस वार्षिकोत्सव के अंतिम चरण में ‘चिंतन’शीर्षक के अन्तर्गत रवीन्द्रनाथ ठाकुर द्वारा रचित कविता ‘ह्वेयर द माइण्ड इज विदाउट फीयर’की भावपूर्ण प्रस्तुति में भय से मुक्ति की भावना को प्रकट करते हुए यह दिखाया गया कि आज धर्म, भाषा, सम्प्रदाय को लेकर विविध प्रश्न हमारे सामने खड़े हैं जिन्हें दूर करना अतिआवश्यक है।

कार्यक्रम के अंत में सनबीम समुह के अध्यक्ष डॉ. दीपक मधोक एवं निदेशिका श्रीमती भारती मधोक ने 550 उत्साही बच्चों व उनके मार्गदर्शकों को बधाई दी। उक्त सांस्कृतिक कार्यक्रम की मुक्तकंठ से प्रशंसा करते हुए उन्होंने कहा कि यह बच्चे ही है जो भविष्य में समाज व देश में एक प्रभावशाली, सकारात्मक परिवर्तन लाकर संपूर्ण विश्व को और सुन्दर बना सकते हैं। कार्यक्रम का समापन राष्ट्रगान के साथ हुआ।


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