जगद्गुरू शंक्राचार्य स्वामी श्री स्वरूपानन्द सरस्वती महाराज के दिनांक 11/11/2022 को ब्रह्मीभूत होने के पश्चात उनके आदेशानुसार मठाम्नायानुरूप अनेक आदर महात्मगण एवं विद्वज्जनों के समझ ज्योतिष्पीठ के शंक्राचार्य के रूप में श्री अविमुक्तेश्वरानन्द सरस्वती महाराज का तथा द्वारका शारदापीठ के शंक्राचार्य के रूप में श्री अविमुक्तेश्वरानन्द सरस्वती जी महाराज का तथा द्वारका शारदापीठ के शंक्राचार्य के रूप में श्रीसदानन्द सरस्वती जी महाराज का जो श्रृड्गेरी के शंक्राचार्य महास्वामी श्री भारतीतीर्थ जी महाराज के द्वारा श्रृड़्गेरी में संक्षेपत: तथा दिनांक 14/10/2022 को द्वारका शारदापीठ में महास्वामी भारतीतीर्थ के शिष्य श्रीविधुशेखर भारती जी महाराज के द्वारा विस्तृत पट्टाभिषेक हुआ है उसका यह श्रीकाशी विद्वत्परित पूर्णत: समर्थन करती है।
उक्त दोनों महापुरुषों का ज्योतिष्पीठ और द्वारका शारदापीठ के शंक्राचार्य के रूप में प्रतिष्ठापन पूर्णत: न्यायोजित एवं शास्त्रसम्मत है। असंजात विरोधिन्याय से भी शंक्राचार्य के रूप में उनकी पुष्टि होती है।