MENU

यूपी कैबिनेट का फैसला : कानपुर, लखनऊ और वाराणसी के आउटर खत्म, पुलिस कमिश्नरेट में शामिल



 04/Nov/22

यूपी सरकार ने गुरुवार को कैबिनेट में एक अहम फैसला लिया, कानपुर आउटर समेत लखनऊ और वाराणसी के आउटर व ग्रामीण इलाकों की व्यवस्था खत्म कर उन्हें पुलिस कमिश्नरेट में शामिल कर दिया गया है। इस फैसले के बाद अब वाराणसी ग्रामीण पुलिस कमिश्नरेट का ही हिस्सा होगा जो की पुलिस कमिश्नर के कार्यक्षेत्र में शामिल होगा। सरकार के इस फैसले के बाद एसपी ग्रामीण आउटर के पद समाप्त हो जायेंगे। इनकी जगह डीसीपी और एडीसीपी की तैनाती होगी वहीं सीओ अब एसीपी होंगे। हालांकि जब तक इसका शासनादेश नही आता आउटर और ग्रामीण की व्यवस्था लागू रहेगी।

 10 थाने और जुड़ेंगे कमिश्नरेट में कुल संख्या होगी 28

वाराणसी पुलिस कमिश्नरेट 25 मार्च 2021 में गठित हुआ था। उस समय कमिश्नरेट के पास 18 थाने आए थे। वहीं जिले के ग्रामीण इलाके के रोहनिया, जंसा, लोहता, बड़ागांव, मिर्जामुराद, कपसेठी, चौबेपुर, चोलापुर, फूलपुर और सिंधौरा थाने के मुखिया के तौर पर पुलिस अधीक्षक स्तर के अधीक्षक तैनात किए जाएंगे। वही वाराणसी आउटर में 10 थाने थे। जिसके साथ ही कमिश्नरेट के थानों की संख्या 28 होगी।

पुलिस कमिश्नरेट में ग्रामीण क्षेत्र शामिल होने से आम नागरिकों को होगा फायदा :  संतोष कुमार सिंह

अपर पुलिस आयुक्त संतोष कुमार सिंह ने कहा कि हमलोगों पर कोई जिम्मेदारी नहीं बढ़ी है। पहले कम थाने थे, अब ज्यादा हो गये हैं इससे कई सुविधाएं भी हुई है। उन्होंने कहा कि इससे सबसे ज्यादा फायदा आम नागरिकों को हो गया है। उन्हे दो जगह भटकना पड़ता था। फरियादी अपनी समस्या लेकर पहलें कचहरी मुख्यालय आता था फिर यहां से उन्हें एसपी ग्रामीण के यहां  20 से 25 किलोमीटर दूर जाना पड़ता था। उन्होंने कहा कि कोई भी आदमी अपनी समस्याओं को लेकर जिला मुख्यालय आता है। चुकीं मुख्यालय उसका जनपद स्तर पर नहीं था, यह समस्या थी, दूसरा पुलिस लाइन नही था तो सिपाही/ कर्मचारियों की समस्या थी। चुकीं तमाम थाने ज्वाइंट है। पता चला कि लोहता से जुलूस निकला और मडुआडीह में आया तो उसकी मॉनिटरिंग नहीं हो पाती थी। दो जनपदों की सीमा लग जाती थी इसी तरह रोहनिया और मडुआडीह के बीच की समस्या आती थी। अधिकारियों की उपलब्धता नहीं रहती थी, वह सब खत्म हो गया। संतोष कुमार सिंह ने कहा कि मेरे यहां खुद दिन-भर में पचासों लोग आते थे ग्रामीण से तो मैं फोन करके उन्हें क्षेत्र के थाने में भेजता था। पैरवी करने के लिए वकील यही आते हैं क्योकि कचहरी यहीं हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में फरियादियो को अकेले जाना पड़ता था तो अपनी समस्या बता नहीं पाता थे। उन्होंने कहा कि एक यूनिट है, जिलाधिकारी एक है और पुलिस के अधिकारी दो, तो बड़ी समस्या आती थी। अब एक हो गये हैं तो लायन आर्डर और सब चीजों में भी सुविधा रहेगी, उन्होंने कहा कि वीआईपी बाबतपुर एयरपोर्ट पर आते हैं। बाबतपुर एयरपोर्ट ग्रामीण क्षेत्र में पड़ता था, एक समस्या रहती थी कि स्कोर्ट कहां से लगे। नियम यह है कि आदमी जहां से लैंड करें वहीं से स्कोर्ट लगता है। ऐसी तमाम और असुविधाएं थी वह सब खत्म हो गई है। इसीलिए यह सब किया गया है।


इस खबर को शेयर करें

Leave a Comment

3179


सबरंग