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गंगा बनी यमुना : विश्व प्रसिद्ध नाग नथैया लीला देखने उमड़ी भीड़,  कृष्‍ण कन्‍हैया के जयकारों से गूंज उठी काशी



 29/Oct/22

धर्म और आध्‍यात्‍म की नगरी काशी में शनिवार को विश्व प्रसिद्ध नाग-नथैया लीला का आयोजन किया गया, जिसे देखने के लिये वाराणसी के तुलसीघाट पर लोगों की भारी भीड़ उमड़ पड़ी। काशी की विश्व प्रसिद्ध नाग नथैया लीला ने एक बार फिर अपनी वर्षों पुरानी परंपरा को जीवित कर दिया है, तुलसीघाट पर कृष्ण लीला को जिसने भी देखा वह मंत्रमुग्ध होकर देखता रह गया। वर्षों पुरानी इस परंपरा को देखने जुटी लाखों की भीड़ ने काशी की गंगा को यमुना में तब्दील होते हुए देखा। आज 29 अक्टूबर को काशीवासी, यमुनवासी के रूप में थे, इस लीला के माध्यम से गंगा को प्रदूषण मुक्त करने का भी संदेश दिया गया। धर्म की नगरी वाराणसी में गोस्वामी तुलसीदास घाट पर शाम होते ही विश्व प्रसिद्ध नाग नथैया लीला का मंचन किया गया।

लीला आयोजक का कहना है कि में आयोजित इस लीला को देखने के लिए फेसबुक और ट्विटर के माध्यम से पूरे विश्व के लोग जुड़े रहे, इस लीला के माध्यम से लोग भगवान श्रीकृष्ण के साक्षात दर्शन करते हैं। लगभग 500 वर्षों पूर्व गोस्वामी तुलसीदास ने इस लीला को प्रारंभ किया था,  उसके पीछे उनकी यही मंशा थी कि हमारे समाज और नई पीढ़ी के लोगों में भगवान के चरित्र की यह सीख देखने को मिले. उन्होंने लीला के माध्यम से समाज के हर वर्ग को एकसूत्र में पिरोने का कार्य किया है।  तबसे लेकर आज तक हम सभी आयोजक लोग प्रशासन के साथ मिलकर इस लीला को संपन्न कराते हैं। शाम साढ़े तीन बजे जब काशी की गंगा, यमुना में तब्दील होती हैं, उसी क्षण सारे काशीवासी यमुनवासी बन जाते हैं। जैसे ही भगवान श्रीकृष्ण कदम्ब के पेड़ पर से यमुना नदी में अपने मित्र की गेंद को लाने के लिए छलांग लगाते हैं पूरा घाट जय कृष्ण, हर हर महादेव की हुंकार से गूंज उठता है। भगवान कृष्ण जब अपने बाल स्वरूप के रूप में गंगा की लहरों के बीच कालिया नाग का मर्दन करते हैं तब अटूट मित्रता और अहंकार के सर्वनाश का लोगों को दर्शन होता है।


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