मध्य प्रदेश सीहोर के प्रख्यात कथावाचक पंडित प्रदीप मिश्रा मां गंगा के तट पर विश्व सुंदरी पुल के नीचे सप्ताहिक ज्ञानव्यापी शिव महापुराण कथा के पांचवे दिन अपार जनसमूह को संबोधित कर रहे थे। कथा के दौरान पं.प्रदीप जी ने कहा कि कोरोना से जैसी घातक बीमारी ने संसार को चेता दिया है कि मृत्यु लोक में भगवान के सिवाय कोई किसी का नहीं है। जब इंसान कोरोना से ग्रसित होने पर अस्पताल में पड़ा था। जीवन की अंतिम सांस ले रहा था। उस वक्त उसके अपने पति पत्नी, भाई-बहन, चाचा-चाची, भैया-भाभी, घर पर पड़े थे। उस वक्त प्रभु को हमेशा स्मरण करने वाले भक्तों के पास विश्वनाथ थे। ऐसे भक्त वापस घर लौट आए अन्य लोगों के प्राण छूट गए उन्हें परिजनों का कंधा भी नसीब नहीं हुआ। इसलिए संसार के सभी प्राणियों को भगवान पर भरोसा कर उन्हें भजते रहना चाहिए। दुख में व जीवन के अंतिम समय में वही काम आएंगे। देवाधिदेव महादेव संसार के सर्वश्रेष्ठ चिकित्सक हैं। सभी तरह के दुखों का निवारण इन्हीं की कृपा से संभव है। संसार के सभी देशों उनके राज्य देवी-देवताओं, अस्पतालों, शिक्षण संस्थानों व अन्य क्षेत्रों की अपनी-अपनी सीमाएं हैं। किंतु महादेव को उनकी नगरी काशी की सीमा-महिमा अनंत है। यहां माता अन्नपूर्णा व काल भैरव संघ बाबा हर वक्त काशी में भ्रमण करते रहते हैं। जिनको उन पर भरोसा है जो उन्हें भेजते हैं। उन्हें किसी अस्त्र-शस्त्र की जरूरत नहीं है, महादेव के स्मरण के समय उनके समीप होने पर यमराज भी उन्हें छू नहीं सकते। यह वही काशी है जहां मां अन्नपूर्णा की कृपा से कोई भूखा नहीं सो सकता। मणिकर्णिका घाट भी संसार में अचम्मा है। जहां हमेशा सैकड़ों वर्ष से शवदाह संस्कार अनवरत होता रहता है। यह नगरी और यहां के लोग धन्य हैं। मैं व्यासपीठ से उन्हें साष्टांग प्रणाम करता हूं। सांसारिक बंधनों से मुक्ति भी यही प्राप्त होती है। पूज्य पंडित प्रदीप मिश्रा ने देश दुनिया में अखबार आस्था चौनल कथा पंडाल व अन्य माध्यम से कथा श्रवण कर रहे भक्तों से आग्रह किया कि वे अपने जीवन में कुछ बातों का विशेष ध्यान रखें। अपनों का जिनमें का दिन खराब हो उनके पास 1 दिन में कम से कम 2 बार, जिनका स्वास्थ्य खराब हो उनके पास तीन बार, माता-पिता के दुख में और अंतिम सांस के समय 24 घंटे हर पल उनके पास रहें। उनकी सेवा करें। बाबा विश्वनाथ उन पर अवश्य कृपा करेंगे, दुख के समय भैया-भाभी, चाचा-चाची अन्य सगे संबंधी अपना भले न साथ दे, पर ये तीन प्रकार के लोग अवश्य आपकी पीड़ा दूर करने में आपके साथ खड़े मिलेंगे। आगे बताया कि माता-पिता केले के छिलके की भांति होते हैं। अपने बच्चे को हर कष्ट सहकर भी उन्हें सुरक्षित रखते हैं। उनके मंगलमय जीवन के लिए अपना सर्वस्व निछावर कर देते हैं। किंतु जो बच्चे केले के छिलके को उतारकर कागज में मोड कर रख लेते हैं वह छिलका काला पड़ जाता है। पर हित के लिए अंतिम अवस्था तक लगा रहता है। ऐसे केले के छिलके के स्वरूप माता-पिता की उपेक्षा न करें, ऐसा ना करने से उनका ही भला होगा। उनके बच्चे भी उनकी वैसे ही सेवा करेंगे। माता पिता भगवान स्वरूप होते हैं उनकी सेवा प्रभु की सेवा है। माता पिता और गुरु की बात जो भी मनुष्य मानेगा वह हमेशा सुखी और स्वस्थ रहेगा। उन्होंने बताया कि आपका दिन जब खराब हो दिमाग काम ना करें तो उस वक्त अपने आराध्य की शरण में अनेक मंदिर जाएं मदिरालय न जाएं। मंदिर में सत्संग से ही उनका भला होगा।
पूज्य पंडित प्रदीप मिश्रा ने कहा कि आज के अधिकांश इंसान से अच्छे तो मूंक पंशु और पंछी है। वह भूखों मर सकते हैं पर वह किसी भी चीज का भक्षण नहीं करते-शेर खुद अपना शिकार कर आहार ग्रहण करता है। पपीहा स्वाति नक्षत्र का जल ही ग्रहण करता है, हंस मोती चुनता है इसके सिवाय कोई पदार्थ नहीं खाता। संसार के सभी जीव जंतु नियम से चलते हैं। केवल इंसान ही ऐसा है जो मांस-मंदिरा, जानवर सहीत कब क्या खाएगा कहा नहीं जा सकता। भगवान और मुक पशु-पक्षी पर तो भरोसा कर सकते हैं, इंसान पर नहीं अच्छे इंसान हैं जिसने मृत्यु लोक संचालक प्रभु कृपा से हो रहा है। ऐसे लोगों के सत्संग में रहने से ही जीवन का कल्याण होगा। संसार में सर्वाधिक ‘दोगले’ भारत में ही है, खाते यहां की हैं गाते किसी और की है। ऐसे लोगों के कारण सोने की चिड़िया भारत की यह दशा हो गई है। देश के युवाओं के दिशा व दशा को सुधारने के लिए माता-पिता और गुरु उन्हें सत्संग प्रवचन व कथा आदि से जुड़े। आज के भटकती हुई पीढ़ी को न संभाला गया तो उनकी पीढ़ी गर्त में चली जाएगी। उन पर से विश्वास उठ जाएगा। अतः भटक रहे बच्चों को अविवाहक नियंत्रण में रखें। उनके नियंत्रण में न रहें। अभी ध्यान न दिया तो भविष्य में पश्चाताप के सिवाय कुछ नहीं बचेगा। अपने बच्चों पर जो बाहर शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं। अथवा सेवारत हैं। उन पर ध्यान रखें अधिकांश समय उनके साथ रहने का प्रयास करें।
भारत की दुर्दशा का दृष्टांत सुनात हुऐ पं. प्रदीप मिश्रा ने बताया कि भारत में एक अंग्रेज जब यहॉ कब्जा करने आया तो यहॉ के लोगो ने पूजा आप अकेले आये हो, यहॉ कब्जा कैसे करोगे, इसपर उसने जवाब दिया भारत के एक ‘‘दोगले’’ को पकड़ूंगा वह अनगिनत दोगलों को ढूढ़ लेगा और हम अपने मकसद में कामयाब हो जायेगे, ऐसे ‘दोगलो’ से भारतीयों को सजग रहने की जरूरत है।
साथ ही पं. प्रदीप मिश्रा ने सामूहिक प्रार्थना जप की महत्ता पर प्रकाश डाला। ‘‘श्री शिवाय नमस्तुम्यम्’’ का कई बार जाप का कल्याण होगा।
बीच-बीच में तेरे डमरू की धुन सुनकर मैं काशी नगरी में आयी हॅू.... सुना है वो भोले तेरे काशी में गंगा हैं, उसी गंगा को पाने को तेरी नगरी में आयी हॅू... सुना है तेरी काशी में मुक्ति है, उसी मुक्ति को पने में काशी में आयी हॅू... सुना है हमने वो भोले तेरे काशी में गौरा हैं, उन्ही गौरा को पाने को मैं काशी नगरी आयी हॅू...
मेरे भोले तेरा सहारा है, मेरी नैया का तू ही किनारा है....
छूटे ना कोई तेरा काम रे, भज ले गौरी पति का नाम रे.... गौरा पति को मेरे रामजी भजते मिल गया अयोध्या का राज रे... गौरा पति को मेरे कान्हा भी भजते वो जी मिल गया द्वारिका का राज रे... गौरापति को भज ले छूटे ना कोई काम रें....
उनके भजन शुरू होते ही पण्डाल में उपस्थित हजारों श्रद्धालु थिरकने, नृत्य करने लग रहे थे।
कथा के प्रारम्भ में व्यासपीठ पर पूज्य गुरूदेव का पूजन कथा के मुख्य यजमान कौशल कुमार सिंह, श्रीमति गीता सिंह, श्रीमति निधि सिंह, संजय केशरी, प्रदीप मानसिंह ने किया।
अन्त में आरती में केदारनाथ सिंह, पं0 सुधीर मिश्रा, संजय माहेश्वरी, संदीप केशरी, नीरज केशरी, सचिन पटेल आदि प्रमुख लोगों के साथ हजारों श्रद्धालु शामिल थे। कथा का संचालन आशीष वर्मा ने किया।