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प्रधानमंत्री के संसदीय क्षेत्र काशी से उठी हसदेव जंगल बचाने की मांग



 30/Sep/22

कोयला खनन के लिए हसदेव जंगल को काटे जाने का हुआ विरोध

आज दिनांक 30 अप्रैल, 2022 को गांधी घाट, अस्सी घाट के पीछे, वाराणसी में क्लाइमेट एजेंडा, शहर के युवा एवं अन्य नागरिक संगठनों के संयुक्त संयोजन से छत्तीसगढ़ में हसदेव जंगल बचाने के लिए प्रधानमंत्री को पोस्टकार्ड लेखन व् सभा का आयोजन किया गया। और समस्त काशीवासियों ने पर्यावरणीय एवं मानवीय स्वास्थ्य के दृष्टिकोण से हसदेव जंगल में प्रस्तावित कोयला खनन का पुरज़ोर विरोध किया।

 

ज्ञात हो कि पिछले साल केंद्र सरकार व् इस साल अप्रैल में छत्तीसगढ़ सरकार ने सूरजपुर, सरगुजा और कोरबा के तीन जिलों में 1,70,000 हेक्टेयर में फैले हसदेव के घने जंगल को परसा कोयला खदान के तहत काटे जाने की अनुमति दे दी गयी है। इतने विशाल जंगल में लगभग 2 लाख से ज़्यादा पेड़, विभिन्न प्रजाति के वन्य जीवों एवं आदिवासी समूहों का स्थायी निवास करते हैं एवं जीविका का साधन भी है। इसे मध्य भारत का फेफड़ा भी कहा जाता है। इतने विशाल जंगल को उजाड़ने का ठेका अडानी समूह को सौंप दिया गया है। हसदेव जंगल बचाने के लिए देश विदेश समेत आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी से भी आम जनता ने विरोध दर्ज करते हुए पोस्टकार्ड के माध्यम से यह मांग रखी कि कोयला खनन के लिए हसदेव जंगल को काटे जाने से रोक कर वह एक ज़िम्मेदार पर्यावरण प्रहरी की भूमिका निभाएं।

 

इस मौके पर क्लाइमेट एजेंडा की निदेशक एकता शेखर का कहना है कि जब हमारे देश में बिजली उत्पादन के लिए सौर ऊर्जा एक विश्वसनीय एवं टिकाऊ ऊर्जा मौजूद है तो ऐसे में सरकार सबसे प्रदूषित ऊर्जा के स्त्रोत कोयले से बिजली बनाये जाने के लिए क्यों इतने विशाल और समृद्ध जंगल को काटे जाने पर अडिग है। हसदेव जंगल ना केवल मध्य भारत बल्कि पुरे देश के लिए फेफड़े के समान है। हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि जल जगंल ज़मीन केवल इस धरती पर रहने वाले मनुष्यों की लालसा पूरा करने के लिए नहीं बल्कि वन्य जीव जंतु भी बराबर के हकदार हैं ऐसे में सभी के घरों को फ़र्ज़ी तरीके से उजड़ना एक अमानवीय फ़ैसला है। हम सभी जानते हैं प्रदूषण हमारे देश में एक बड़ी चुनौती है और हर साल हज़ारों-लाखों लोगो की जाने केवल वायु प्रदूषण के कारण हो जाती है ऐसे में प्रदूषण के स्त्रोत को बढ़ाने के लिए कोयले का खनन बेहद ख़तरनाक है।

 

उन्होंने आगे कहा कि पर्यावरण दिवस पर केवल पेड़ लगाने की खानापूर्ति से पर्यावरण की रक्षा संभव नहीं है। हमें हसदेव जंगल समेत देश समस्त हरित क्षेत्रों को बचाने का प्रण लेना चाहिए। इस समय सभी की ज़िम्मेदारी है वो हसदेव जंगल की कटाई का विरोध दर्ज करें और प्रधानमंत्री के समक्ष इसको काटे जाने से रोकने की मांग रखें।

 

आज इस हसदेव बचाओ पोस्टकार्ड लेखन व् सभा में मुख्य रूप से सोनल, ऋषिका, शैलजा, प्रगति, सुरुचि, पूर्णिमा, साधना, रीमा, सोनाली, क्षमा, सुधा, सोनाली वर्मा, श्रिया, नंदलाल मास्टर, वल्लभ पाण्डेय, अमृता, अंशिका, प्रेरणा, पूजा, निभा, ऋतु, शिवानी, अंकिता, प्रिया, अंजली, प्रज्ञा, दीक्षा, वर्षा, आकांक्षा, कविता, अंशिका, निम्मी, गीतांजलि, शिवानी, राधिका, नंदिनी, अनामिका, वैष्णवी, प्रियांशी, संध्या, सतीश जी समेत सैकड़ो लोग शामिल हुए।

 


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