काशी ज्ञानवापी श्रृंगार गौरी मामले में अहम भूमिका निभाने वाले व विश्व वैदिक सनातन संघ के प्रमुख जितेंद्र सिंह विसेन ने कई अफवाहों पर खुलासा सोमवार को एक वीडियो मैसेज जारी कर किया। उनका कहना है कि कुछ लोगों द्वारा उनके और उनके संगठन से जुड़े लोगों को कोई अनहोनी घटना को अंजाम दिया जा सकता है। इसलिये ऐसी अफवाहें फैलाई जा रही हैं। वीडियो में जितेंद्र सिंह विसेन ने कहा कि काशी, मथुरा वह देश के अन्य कई धार्मिक स्थलों की संवैधानिक लड़ाई लड़ने का कार्य मैं कर रहा हूं। यह कार्य मैं ना करूं, इसके लिए हिंदू विरोधी शक्तियां हर संभव प्रयास कर रही हैं। हिंदू विरोधी शक्तियों के अतिरिक्त तथाकथित हिंदुत्व के ठेकेदार भी मेरे विरोध में उतर कर हर संभव प्रयास कर रहे हैं कि मैं इन कार्यों को छोड़ दूं। और दुर्भाग्य मेरा ऐसा है कि सरकार और शासन प्रशासन के अधिकारी हुई उन सभी का पूर्ण सहयोग करें। तथा हर तरह से मेरे ऊपर दबाव बनाया जा रहा है कि मैं यह सब कार्य बंद कर दूं। वाराणसी ज्ञानवापी प्रकरण को लेकर कुछ उदाहरण भी बताते हुए उन्होंने कहा कि मीडिया के माध्यम से समाज में भ्रम फैलाना कि राखी सिंह मुकदमा वापस ले रही हैं। मैं कमीशन की इस कार्रवाई में शामिल ना हो इसके लिए हर संभव प्रयास करना और अंततः एडवोकेट कमिश्नर विशाल सिंह के द्वारा मुझे कमीशन कार्रवाई के दौरान कमीशन से बाहर करना। मेरे अकाउंट में अज्ञात सूत्रों के द्वारा पैसा देकर मुझे बदनाम करना। समाज में यह भ्रम फैलाया गया कि जितेंद्र सिंह बिसेन मुस्लिम पक्ष से मिले हुए हैं। कमीशन कार्रवाई के दौरान हुई वीडियोग्राफी न्यायालय के शब्द आदेश के बाद भी उसका लिक होना। तथा उसका इल्जाम मेरे ऊपर लगाना। साथ ही वीडियो लीक मामले में सरकार के द्वारा दोषियों के खिलाफ जांच ना करवा कर कारवाई ना करना। मेरे द्वारा वीडियोग्राफी की सीबीआई जांच की मांग करना तथा सरकार से ज्ञानवापी प्रकरण के दौरान हुई प्रत्येक घटना की सीबीआई जांच की मांग करना। किंतु सरकार के द्वारा किसी भी प्रकार की कोई जांच ना करना। स्पष्ट है कि वह ऐसे असामाजिक तत्वों के साथ हैं। मेरे द्वारा सीबीआई जांच की मांग करने पर मेरे सहयोगियों के ऊपर फर्जी मुकदमे में बनाकर उन्हें जेल भेजना। जिससे मेरे साथ जुड़े हुए लोगों का मनोबल टूटा। और मेरे कई सहयोगी मुझसे दूर हो गए। तथा मेरे तथा मेरे सहयोगी यों के ऊपर इस विषय को लेकर अकारण आर्थिक बोझ पड़ गया। कमीशन कार्रवाई के दौरान थाना चौक से संबंधित पुलिस अधिकारियों का मेरे प्रति दुर्व्यवहार पूर्ण बर्ताव। कुछ तथाकथित लोगों के द्वारा कि उन्हें पाकिस्तान से धमकी मिल रही है वह भी फोन पर मिस कॉल के द्वारा क्योंकि पूरी तरह समझ से परे है। प्रशासन चुप्पी साधना। न्यायालय परिसर में मेरे अधिवक्ता अनुपम त्रिवेदी को धमकी देना वह डराना धमकाना। अज्ञात तत्वों द्वारा मुझे ज्ञानवापी प्रकरण से दूर रहने तथा बनारस ना आने की धमकी देना। तथाकथित राष्ट्रवादी जो पूर्व में पाकिस्तान के पैसे पर रोटी खाता था पुष्पेंद्र कुलश्रेष्ठ उसके द्वारा मेरे बारे में दुष्प्रचार करना। ऐसी बातें सामने आ रही हैं।
इसके अतिरिक्त अनेकों ऐसे बिंदु है जिनके ऊपर सरकार पूरी तरह मेरे विरोधियों के साथ खड़ी है। इससे स्पष्ट होता है कि सरकार तथा प्रशासन भी नहीं चाहता कि मैं ज्ञानवापी प्रकरण में संवैधानिक रूप से जो कार्रवाई कर रहा हूं उसे करूं। परिस्थितियां ऐसी बन चुकी है कि मैं वह मेरे परिवार के सदस्य, मेरे सहयोगी तथा मेरे अधिवक्ता कभी भी किसी भी षड्यंत्र या किसी दुर्घटना का शिकार हो सकते हैं। यदि ऐसा कुछ होता है। तो हिंदू विरोधी शक्तियों के अतिरिक्त तथाकथित राष्ट्रवादी पुष्पेंद्र कुलश्रेष्ठ तथा कुछ अन्य लोगों के साथ सरकार तथा शासन के लोग भी जिम्मेवार होंगे।