फिरौती के लिए एम्बुलेंस चालक का अपहरण करने के मामले में तीन आरोपितों को अदालत से राहत मिल गयी। अपर जिला जज (दशम) देवकांत शुक्ला की अदालत ने मुकदमे के विचारण के दौरान साक्ष्य के अभाव में संदेह का लाभ देते हुए मरदह, गाजीपुर निवासी संदीप कुमार सिंह, तरवां, आजमगढ़ निवासी सौरभ प्रताप सिंह व चुनार, मिर्जापुर निवासी आशीष यादव को दोषमुक्त कर दिया। अदालत में बचाव पक्ष की ओर से अधिवक्ता अनुज यादव, विधान चन्द्र यादव, दुधनाथ यादव व नरेश यादव ने पक्ष रखा।
अभियोजन पक्ष के अनुसार गंगोत्री विहार कालोनी, नगवा निवासी जीवन सिंह ने लंका थाने में प्राथमिकी दर्ज कराई थी। आरोप था कि उसके मौसी का लड़का हीरा उसके साथ रहकर एम्बुलेंस चलाता है। वह 26 मार्च 2021 को 2.30 बजे दिन में इमरजेंसी बीएचयू हॉस्पिटल से भाड़े पर मरीज को लेने के लिए गया था। उसी दौरान बीएचयू के छात्र आशीष यादव, संदीप कुमार सिंह, सौरभ प्रताप सिंह, रितेश सिंह व समीर सिंह द्वारा हीरा को जबरदस्ती एम्बुलेंस से खींच कर मोटर साइकिल पर बैठाकर फिरौती के लिए अपहरण कर लिए। इसके बाद वह लोग हीरा के मोबाइल नम्बर से बार-बार उसके मोबाइल पर फोन करके 10 हजार रुपए फिरौती मांगे और पैसे न देने पर हत्या करने की धमकी दे रहे है। इस मामले में पुलिस ने पांच आरोपितों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर विवेचना शुरू की। विवेचना के दौरान तीनों आरोपितों का नाम प्रकाश में आने के बाद उनके खिलाफ आरोप पत्र न्यायालय में प्रेषित किया गया था। वहीं दो अन्य आरोपितों के फरार रहने के चलते उनके खिलाफ विवेचना अभी प्रचलित हैं। अदालत में बचाव पक्ष की ओर से दलील दी गई की घटना एक व्यस्त सिक्योरिटी वाले एरिया में होना बताया गया है। ऐसे में कोई स्वतंत्र साक्षी का बयान नही लिया गया। अभियुक्त व वादी एक दूसरे को जानते व पहचानते नही थे। बावजूद इसके नामजद मुकदमा पता व वल्दियत के साथ अंकित कराया गया। जो यह साबित करता है कि पूरा घटनाक्रम एक सोची समझी साजिश के तहत रचा गया है। अदालत ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने, गवाहों के बयान व साक्ष्यों के अवलोकन के बाद तीनों आरोपितों को दोषमुक्त कर दिया।