स्वामी हरसेवानन्द पब्लिक स्कूल गढ़वाघाट में राधा-कृष्ण भाव कार्यक्रम का आयोजन किया गया। केजी के छोटे-छोटे बच्चों ने बाल कृष्ण के विभिन्न रूपों को अपने अभिनय का अंश बनाया। जब जब प्रकृति सुन्दरी ने सोलह श्रृंगार सजा कर अपना रूप निखारा, रंग बिरंगे फूलों की चूनर ओढ़ी, खेत खलिहानों की हरितिमा से अपना आवरण रंगा या चांद तारों की बिन्दिया सजायी, मांग में बाल अरूण की लालिमा रूपी सिन्दूर भरा, इन्द्रधनुषी भौंहे तान, काली घटा का अंजन आंजा, और विराट को लुभाने चली, तब तब धरती मुग्ध हो उठी। धरती पुत्र कृत कृत्य हो मदमस्त हुआ वह मस्ती में नाचने लगा। प्रकृति का बदलता सौन्दर्य मानव मन में उमड़ती उमंग और उल्लास के रूप में प्रकट हो उसे पर्व प्रेमी बना दिया। जाते हुए सावन की रिमझिम सावन की काली अँधियारी रात के दहलीज पर खड़ा हो सुदर्शन चक्रधारी योगेश्वर श्रीकृष्ण की नटखट बाल क्रीडाओं को सभी देखने को आतुर हुए। उक्त अवसर पर विद्यालय के प्रबन्धक बाबा प्रकाशध्यानानन्द ने कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए कहा कि श्री कृष्ण का अवतार धर्म रक्षा के लिये हुआ था। इसलिये जन्माष्टमी के पूर्व बाल कृष्ण का यह उत्सव जीवन के सन्तुलन का उत्सव है।
कार्यक्रम में आशा यादव, पुष्पलता, रेखा राय, नीरज विश्वकर्मा, रितु सिंह, सुभाषिनी आदि का विशेष योगदान रहा। इस अवसर पर विद्यालय के प्रधानाचार्य चन्द्रशेखर सिंह, सहित सभी शिक्षक शिक्षिकाएं तथा अभिवावक मौजूद रहे।