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सुभासपा ने यूपी की 39 सीटों पर भाजपा के खिलाफ खड़ा किया उम्मीदवार



 17/Apr/19

बनारस के चुनावी रण में पीएम मोदी को घेरने के लिए एसबीएसपी ने रोहनिया के पूर्व प्रधान सुरेंद्र प्रसाद राजभर को उतारा मैदान में
लोकसभा चुनाव 2019 में उत्तर प्रदेश भाजपा गठबंधन में शामिल सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी ने पूरे उत्तर प्रदेश में 39 सीटों पर अपना उम्मीदवार खड़ा कर भारतीय जनता पार्टी के चुनावी रणनीतिकारों के सामने नई मुसीबत खड़ी कर दिया है।

बनारस लोकसभा से भाजपा प्रत्यासी प्रधानमंत्री मोदी के मुकाबले सुभासपा ने रोहनिया के पूर्व प्रधान सुरेंद्र प्रसाद राजभर को चुनावी मैदान में उतार दिया है।

बताते चलें कि प्रदेश गठबंधन में शामिल सुभासपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर उत्तर प्रदेश में 5 लोकसभा सीटों पर अपना दावा पेश किया था जिसको लेकर भाजपा शीर्ष नेतृत्व के बीच कोई सहमति न बनने पर दबाव की राजनीति के मद्देनजर पूरे प्रदेश में 3 दर्जन से अधिक उम्मीदवारों को उतार कर नया मोर्चा खोल दिया है।

भले ही बनारस में अब तक कांग्रेस, सपा- बसपा गठबंधन से कोई उम्मीदवार प्रधानमंत्री से मुकाबले के लिए सामने नहीं है, किंतु सुभासपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर ने वाराणसी संसदीय क्षेत्र स सिद्धार्थ राजभर के नाम की घोषणा किया था जिसे पार्टी के प्रदेश महासचिव शशि प्रताप सिंह ने बदल कर रोहनिया के रहने वाले पूर्व प्रधान सुरेंद्र प्रसाद राजभर का नाम घोषित कर दिया है। 

 

इस बारे में शुभासपा के प्रदेश महासचिव शशि प्रताप सिंह ने क्लाउन टाइम्स से एक अनौपचारिक बातचीत में कहा थी अभी भी समय है, यदि भाजपा शीर्ष नेतृत्व अपना अड़ियल रवैया छोड़कर घोसी की एकमात्र सीट हमारे दल को स्वतंत्र रूप से चुनाव चिन्ह छड़ी पर दें तो घोषित प्रत्याशियों के नाम वापस हो सकते है।

अन्यथा सुभासपा के प्रत्याशियों के चुनावी मैदान में आने से भाजपा के लिए चंदौली, बलिया, गाजीपुर, मिर्जापुर सहित पूर्वांचल की दर्जनों सीटों पर पार्टी को हार का सामना करना पड़ सकता है क्योंकि इन क्षेत्रों में हमारे मतदाताओं की संख्या लाखों में है।

कुल मिलाकर फिलहाल घोसी सीट भाजपा के पास है, जिसपर अभी तक किसी प्रत्याशी का नाम घोषित नहीं किया है। सूत्रों की माने तो भाजपा शीर्ष नेतृत्व जातीय समीकरण को देखते हुए यह सीट सुभासपा को देने के तैयार है, किंतु शर्त है प्रत्याशी चुनाव चिन्ह छड़ी पर नहीं बल्कि कमल के फूल पर चुनाव लड़े।

पूर्वांचल में सपा- बसपा गठबंधन के चलते पिछड़े, दलित और कुछ हदतक मुस्लिम मतों के ध्रुवीकरण ने जहां एक और भाजपा के रथ को रोकने का प्रयास किया है वहीं दूसरी ओर सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी से जुड़े राजभर समाज के लाखों मतदाताओं की नाराजगी भाजपा के लिए बड़ी मुसीबत खड़ी कर सकती है। अब देखना है पूर्वांचल में भाजपा के चुनावी रथ को रोकने की रणनीति में जुटे सूबे की योगी सरकार में शामिल सुभासपा कोटे के कैबिनेट ओमप्रकाश राजभर को भाजपा शीर्ष नेतृत्व मनाने में सफल होता है या नहीं।


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