सही समय में सही ईलाज में मरीजों का भला : डॉ.राजेंद्र प्रसाद
ब्रेथ ईजी चेस्ट फाउंडेशन फॉर ह्यूमैनिटी, ब्रेथ ईजी टी.बी, चेस्ट, एलर्जी केयर अस्पताल, अस्सी वाराणसी एवं आई.एम.ए वाराणसी चैस्ट के संयुक्त तत्वाधान में वाराणसी के एक होटल में चिकित्सीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया, जिसमें विश्व विख्यात चिकित्सकों ने वर्तमान स्थिति के सबसे गंभीर व महत्वपूर्ण विषय को चुनते हुए लंग अटैक, गंभीर श्वांस की बीमारी पर परिचर्चा की। इस चिकित्सकीय कार्यक्रम का उदघाटन मुख्य अतिथि आयुष, खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन राज्य मंत्री डॉ. दयाशंकर मिश्र दयालु, डॉ. संदीप चौधरी, मुख्य चिकित्सा अधिकारी, वाराणसी, डॉ.कार्तिकेय सिंह, अध्यक्ष आईएमए वाराणसी रेस्पिरेटरी कॉन्क्लेव कांफ्रेंस 2022 के ओर्गानिज़िंग सेक्रेटरी डॉ.एस.के पाठक एवं ओर्गानिज़िंग सेक्रेटरी डॉ.राजेंद्र प्रसाद ने संयुक्त रूप ने दीप प्रज्वलित करके किया। तदोपरांत अतिथियों ने ब्रेथ ईजी द्वारा प्रकाशित बी.ई टाइम्स पत्रिका का विमोचन किया। मुख्य अतिथि डॉ.दयाशंकर मिश्र ने काशी की जनता को आगाह किया कि लंग अटैक से बचने के लिए विशेषज्ञ से परामर्श एवं इलाज कराये एवं विशेषज्ञों से अनुरोध किया कि कम खर्चों में मरीजों को बेहतर ईलाज प्रदान करा।
इस चिकित्सकीय कार्यक्रम में राष्ट्रपति द्वारा पुरस्कृत बी.सी रॉय अवार्ड, डॉ.राजेंद्र प्रसाद (प्रोफेसर व विभागाध्यक्ष -एरा मेडिकल कॉलेज) के साथ-साथ देश के अलग अलग हिस्से से जैसे डॉ.राहुल चंदोला (मैक्स हॉस्पिटल,दिल्ली) डॉ. राजाधर (सी.एम.आर.आई हॉस्पिटल,कोलकता), डॉ.ए.के पाण्डेय (गैलेक्सी हॉस्पिटलए वाराणसी) डॉ.आर.के.सिंह (एस.जी.पी.जी.आई,लखनऊ) डॉ.एस.के. पाठक (बेथ ईजी,वाराणसी) पद्मश्री डॉ.के.के त्रिपाठी (आई.एम.एस.बी.एच.यू) डॉ.जे.केमिश्रा ( एच.ओ.डी,चेस्ट डिप्ट,बी.एच.यू),एवं डॉ.धीरज किशोर (यच.ओ.डी-मेडिसिन डिप्ट, बी.एच.यू) से जुड़े एवं परिचर्चा की।
रेस्पिरेटरी कानक्लेव कांफ्रेंस 2022 के ऑर्गनाइजिंग सेक्रेट्ररी व् वरिष्ठ श्वांस एवं टी.बी रोग विशेष डॉ.एस.के पाठक ने बताया कि ब्रैथ ईजी के प्रयास से भारत में आठवी बार इस चिकित्सीय संगोष्ठी का आयोजन किया जा रहा हैं, परन्तु पिछले दो वर्षो में लॉकडाउन की वजह से ये कार्यक्रम वर्चुअल किया गया। इस चिकित्सकीय संगोष्ठी का उद्देश्य चिकित्सको को गंभीर श्वांस बीमारी के प्रति नयी पद्दिती की जानकारी के बारे में अवगत कराना हैं, जिससे मरीजों को श्वांस जैसी गंभीर बिमारियों से कम समय तथा कम खर्च में आसानी से ईलाज मिल सके। डॉ.पाठक ने लंग अटैक के बारे में विस्तार पूर्वक जानकारी दी और इससे बचने के विषय में भी प्रकाश डाला।
डॉ. राहुल चंदोला (मैक्स हॉस्पिटलए दिल्ली) ने फेफड़ों की अंतिम अवस्था के देखभाल के बारे में बताया और विषम समय में लंग ट्रांसप्लांट करने के बारे में जानकारी दी। डॉ.चंदोला ने आगे बताया कि लंग अटैक की समस्या फेफड़ों से जुड़ी गंभीर बीमारियों के कारण होती है। इस बीमारी में फेफड़ों से हवा का प्रवाह बाधित होता है जिसकी वजह से फेफड़ों को नुकसान होता है और मरीज को सांस लेने में गंभीर कठिनाई का सामना करना पड़ता है। फेफड़ों के खराब होने के अंतिम अवस्था में मरीजों के फेफड़े बदलने की व्यवस्था अब भारत में उपलब्ध हैं ।
डॉ.आर.के सिंह (एस.जी.पी.जी.आई,लखनऊ) ने लंग अटैक को आई.सी.यू में कैसे देखभाल करे उसके बारे में जानकारी दी। डॉ.सिंह ने आगे बताया कि लंग अटैक की समस्या सबसे ज्यादा सांस से जुडी गंभीर बीमारियों से ग्रसित लोगों में होती है। यह समस्या 20 से 30 प्रतिशत पुराने धूम्रपान करने वालों में भी होती है। लंबे समय तक धूम्रपान करना इसके जोखिम को और बढ़ा देता है। एक आंकड़े के मुताबिक लंग अटैक की समस्या 90 प्रतिशत ऐसे लोगों में हो सकती है जो अत्यधिक सिगरेट पीते हैं। लंग अटैक के कुछ प्रमुख कारण इस प्रकार से हैं।