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गुरुपूर्णिमा पर काशी में मुस्लिम महिलाओं ने गुरु बालक दास की उतारी आरती उतार कर जिहादियों को दिया करारा जवाब



 13/Jul/22

देश तोड़ने और नफरत फैलाने वाले जिहादियो को काशी ने दिया करारा जबाव

भारत के गुरु गला काटना नहीं, गले मिलना सिखाते हैं : मो. अजहरुद्दीन

धर्म और अध्यात्म की नगरी काशी में गुरु पूर्णिमा के अवसर पर मुस्लिम महिलाओं ने गुरु गुरु बालक दास की आरती उतारकर नफरत थी और जिहादी मानसिकता वालों के मुंह पर जड़ा करारा तमाचा। आज गुरु पूर्णिमा के दिन काशी में कुछ अलग नजारा दिखा, जो दिलों को जोड़ने वाला और नफरत को मोहब्बत में बदलने वाला था। पातालपुरी मठ में काशी धर्म परिषद के अध्यक्ष पीठाधीश्वर महंत बालक दास जी महाराज को गुरु मानकर चरण पूजने वालों की कमी नहीं है, क्योंकि सनातन धर्म के बड़े धर्माचार्य हैं। लेकिन रामानन्द की परम्परा के गुरु बालक दास को गुरु मानने वाले केवल हिन्दू नहीं हैं, बालक दास ने अपने मठ के दरवाजे सबके लिए खोल दिये हैं, चाहे वह मुस्लिम हो या दलित हो। मध्यकाल में रामानन्द ने कबीर और रैदास को अपना शिष्य बनाकर जाति धर्म के रूढ़ियों को चुनौती दी और छुआछूत पर प्रहार किया।

आज वही दृश्य पातालपुरी मठ में भी दिखा। गुरु की पीठ पर आसीन महंत बालक दास को सम्मान देने मुस्लिम समुदाय के लोग बड़ी संख्या में पहुंचे। मुस्लिम महिलाओं ने हनुमान चालीसा फेम नाजनीन अंसारी के नेतृत्व में गुरु की आरती उतारी। बालक दास के चरणों मे पुष्प अर्पित कर विधिवत थाल सजाकर आरती करने वाली मुस्लिम महिलाएं अविभूत थीं। महंत बालक दास ने मुस्लिम महिलाओं को आशीर्वाद दिया और धर्म जाति से ऊपर उठकर राष्ट्र की एकता का संदेश दिया।

राजस्थान में जिहादियों द्वारा कन्हैयालाल की गर्दन काटकर नफरत का संदेश देने वाले आतंकियों के लिए यह बहुत बड़ा झटका था। वे नफरत फैलाकर हिन्दू मुस्लिम फसाद कराना चाहते थे। लेकिन काशी के मुस्लिम समुदाय ने गुरु पूजा कर काशी से यही संदेश दिया कि चाहे जो हो लेकिन गुरुओं की कृपा से नफरत नहीं जीतेगी। दुपट्टा और माला पहनाकर गुरु का सम्मान करने वाले मुस्लिम भी गुरु की कृपा में रहना चाहते हैं ताकि वे हिंसा के रास्ते पर न जाये और जीवन में सही रास्ता मिले।

इस अवसर पर मुस्लिम महिला फाउण्डेशन की सदर नाज़नीन अंसारी ने कहा कि जिस पर गुरु की कृपा होती है, वे कभी गलत रास्ते का चुनाव नहीं करते। हम कबीर और रहीम को मानने वाले सनातनी मुसलमान हैं। हमारे पूर्वज हिन्दू थे, उनका ही खून हमारे रगों में है। धर्म बदलने से हमारी संस्कृति नहीं बदलेगी। गुरु की पूजा भारतीय संस्कृति का हिस्सा है। जो नफरत फैला रहे है वो अरबी संस्कृति को मानकर जिहाद कर रहे हैं। उनकी जगह हिन्दुस्तान में नहीं है। यहां सर तन से जुदा का नारा नहीं चलेगा, यहां की पवित्र धरती के आगे सर झुकाने की प्रथा चलेगी।

काशी धर्म परिषद के अध्यक्ष महंत बालक दास जी महाराज ने कहा कि जिनकी आस्था सनातन संस्कृति में है वो कभी हिंसा के रास्ते पर नहीं जा सकते। गुरु की शरण में रहने वाला ही ईश्वर का कृपापात्र बन पाता है। मुस्लिम समाज के लोग भी भारतीय और सनातनी हैं। इनको अपने पूर्वजों के संस्कार नहीं छोड़ने चाहिए। पूर्वजों की परम्पराओं और गुरुओं के साथ रहने वाले मुसलमान हर जगह इज्जत के पात्र हैं। आज नफरत नहीं बल्कि प्रेम की जरूरत है।

भारतीय अवाम पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष नजमा परवीन ने कहा कि विकास और प्रकाश बिना गुरु के सम्भव नहीं हैं। खुदा, तलीम और तरक्की गुरु के बताए रास्ते पर चल कर ही मिल सकती है। इसलिए जीवन में एक गुरु का होना आवश्यक है।

मुस्लिम राष्ट्रीय मंच के पूर्वांचल संयोजक मो. अजहरुद्दीन ने कहा कि गुरुओं के देश में गुरु का सम्मान जरूरी है। भारत के गुरु गला काटना नहीं, गले मिलना सिखाते हैं।

इस कार्यक्रम में नजमा परवीन, नगीना बेगम, नाजिया, शबनम, अर्चना भारतवंशी, डॉ. मृदुला जायसवाल, इली भारतवंशी, खुशी रमन भारतवंशी, उजाला भारतवंशी, दक्षिता भारतवंशी, गीता देवी, रेखा देवी, मो. अजहरुद्दीन, धनंजय यादव, राजकुमार चौधरी आदि लोग शामिल रहे।

 


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