गुरु पूर्णिमा के पावन अवसर पर भक्तों का विशाल जन समुदाय गड़वाघाट मठ पहुंचा। सर्वप्रथम मठ में स्थित मंदिरों में पूर्व के पीठाधीश्वरों आत्म विवेकानन्दजी, हरसेवानन्द जी, हरशंकरानन्द जी की चरण पादुकाओं का पूजन अर्चन के पश्चात आरती कर वर्तमान पीठाधीश्वर ने अपने गुरूओं की आत्मिक श्रद्धा से पुष्पांजलि अर्पित की। इस अवसर पर संतमत के अनुनायी आश्रम गड़वाघाट मठ के पीठाधीश्वर श्री श्री 108 श्री स्वामी सद्गुरू सरनानन्द जी महाराज परमहंस ने कहा कि आधुनिक भौतिक जगत में ईश्वरीय माया से वशीभूत मानव को इस धरा पर केवल गुरू ही है जो सांसारिक प्रपंच से निकालकर ईश्वरीय अनुग्रह तक पहुंचाता है। जगत मिथ्या है, सत्यकी खोज व आत्मशांति व्यक्ति का लक्ष्य है, इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए सभी को एक योग्य गुरू की आवश्यकता है, वही उसे उसके लक्ष्य तक पहुंचा सकता है।
मठ में उपस्थित हजारों हजार भक्त जनों एवं संत महात्माओं के बीच वर्तमान पीठाधीश्वर सरनानन्द जी महाराज की वंदना आरती की गयी। उसके बाद भक्तों का कारवां दिन भर लगातार अपने गुरू की पूजा के लिये लगा रहा। सायं पुन समाधि मंदिरों में आरती पूजा के पश्चात मठ के विशाल प्रांगण में उपस्थित हुए गुरु से पूरा आश्रम परिसर जयकारों से गुंजायमान हो उठा। गीत, संगीत व भजनों की सुमधुर प्रस्तुति गुरुपूर्णिमा के पर्व को और भी आकर्षक बना रहा था।
इस अवसर पर आश्रम के सचिव प्रकाशध्यानानन्द, धर्मदर्शनानन्द, हरिध्यानानन्द, सतज्ञानानन्द, दिव्य दर्शनानन्द, गुरुसेवानन्द सहित आश्रम के सभी महात्मागण एवं भक्तों में राधेश्याम, देवसरन, मुन्ना, रामकिशुन राजेन्द्र, डॉ. दूधनाथ, रामसूरत, अमित जायसवाल, राजेश्वरी सहित हजारों भक्त मौजूद रहे।