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कपूर घाट पर हुआ श्री हनुमान चालीसा का मंत्रमुग्‍ध पाठ



 29/Jun/22

पवन पुत्र हनुमंत लाल जी की असीम अनुकंपा से आज मंगलवार को मंदाकिनी तीर्थ क्षेत्र स्थित कपूर घाट के प्रेम सरोवर परिसर की सतयुग काल बेला पूर्ण राममय रस से सराबोर होते हुए श्री हनुमान चालीसा का मंत्रमुग्ध पाठ में अपने को जिया, हाँ जी हाँ सच वास्तविक जीवन उसी क्षण को ही कहेंगे, क्या विद्युतीय तरंगों वाला सप्तर्षि आभा को बिखरने वाला अलौकिक वातावरण में अपरिभाषित (ये तुच्छ मुख) उस क्षण की व्याख्या करने में असमर्थ हैं, ये तो सिर्फ वही अनुभव कर सकते हैं जिनको हनुमंत लाल जी की कृपा से वहाँ उपस्थित होने का सोभाग्य प्राप्त हुआ। आज मैं एक धृष्टता करने जा रहा हूँ क्षमाप्रार्थी हूँ, पर कहूँगा जरूर हम सब को एक कोटेशन पढ़ाया गया था कि 'सुर सुर तुलसी शशि' अर्थात सूरदास जी सूर्य है और तुलसीदास जी चंदमा है दोनों अद्दुतीय है। आज मैं इसमें संशोधन करते हुए यह कहता हूँ, ' विजय (कपूर) सुर सुमित (सर्राफ) शशि' वास्तव में मित्रों इन दोनों महानुभावों के मधुर सात्विक आचरण एवं समर्पित भाव का ही फल है कि अपना प्रिय योगी आदित्य नाथ फैन्स क्लब की प्रसिद्धि दिन प्रतिदिन होती जा रही हैं, हम सभी सेवक आप दोनों महानुभावों को हृदय से कोटि कोटि अभिनंदन करते हैं, और बजरंगबली की आप पर सदैव कृपा रहे ऐसी कामना करते हैं। मित्रों, प्रेम सरोवर परम सिद्ध पीठ है इसका प्रमाण यह है कि आज ऐसा प्रतीत हुआ कि जैसे स्वयं हनुमानजी महाराज पधारे है, हनुमान चालीसा पाठ के उपरांत प्राय सभी जन के रोएँ अत्यधिक भाव से गनगना गए, आंखों से अश्रुधारा बहने लगी और चित्त निर्मल हो गया।

मित्रों उसके बाद तो एक बहुत ही अप्रत्याशित घटना हुई, ठाकुर ने स्वयं ही प्रसाद की व्यवस्था कर दी, मुझे उन भाई का नाम ज्ञात नहीं है उन्होंने किशमिश का भोग प्रसाद उपस्थित समस्त भक्तो में वितरण किया, जय हो। कहने का तात्पर्य यह है कि जब मन चंगा तो कठोते में गंगा ये वास्तविकता में कपूर घाट पर चरितार्थ हो रहा है।

मुझे हमारे सह सेवक श्रीमान सुमित जी का एक कथन स्मरण आ रहा हैं कि जो भी कार्य होना है उसका दिन काल स्थान सब कुछ प्रभु ने अनादि काल पूर्व ही सुनिश्चत कर दिया है, सचमुच आपकी वाणी में परम सच्चाई है, हम सब ने क्या कभी ऐसा सोचा था।

मित्रों आज की वार्तालाप बहुत लंबी हो गई है पर मन अभी भरा नहीं है, इतना ही कहूँगा और गर्व से की जीवन धन्य हो गया कपूर घाट के प्रेम सरोवर की छत्रछाया पा कर, आइए और नित्य आ कर अपने को कृतार्थ करिए।


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