ज्ञानवापी मस्जिद में मिले शिवलिंगनुमा आकृति की पूजा न कर पाने के बाद अब अविमुक्तेश्वरानन्दः सरस्वती ने कहा कि जब तक ज्ञानवापी क्षेत्र में प्रकट हुए भगवान् आदि विश्वेश्वर की प्रत्यक्ष पूजा नही हो पा रही है, तब तक सभी हिन्दू अपने-अपने गांव मोहल्लों मे समिति बनाकर निकटस्थ शिवलिंग को ही काशी विश्वेश्वर मानकर उनकी प्रतीक पूजा करें। उन्होंने स्वयं ये बातें गौरी केदारेश्वर मन्दिर में जलाभिषेक के बाद कही।
उन्होंने कहा कि आज हमने भगवान् आदि विश्वेश्वर के प्रतीक के रूप में गौरी केदारेश्वर मन्दिर में पूजा अर्चना की। हमारी यह पूजा भगवान् विश्वेश्वर को ही समर्पित हुई है क्योकि उन्हीं को उद्देश्य करके समस्त विश्व के कल्याण के लिए यह पूजा हुई है। उन्होंने आगे कहा कि सभी दलों में हिन्दू हैं और सबके ही मन में भगवान् आदि विश्वेश्वर के पूजा की इच्छा है। भले ही वह अपने दल के कारण सामने आकर आज न कह पा रहा हों पर मन में तो भाव रहता ही है। इसलिए भगवान् के इस कार्य में दल से ऊपर उठकर एक शुद्ध सनातनी हिन्दू के रूप में सभी आगे आकर भगवान् काशी विश्वेश्वर की प्रतीक पूजा करें।
पूजन का आरम्भ पूर्वाह्न 9 बजे से हुआ। आचार्य वीरेश्वर दातार जी के आचार्यत्व में पं दीपेश दुबे जी एवं पं विपिन पाण्डेय जी ने विधि-विधान से गौरी केदारेश्वर मन्दिर में जलाभिषेक सम्पन्न कराया। पूजन में मुख्य रूप से पप्पू पण्डा, अभिषेक पण्डा, आशु महाराज तथा मोहल्ले के अनेक प्रमुख भक्त लोग उपस्थित रहे।