पति द्वारा पत्नि के फर्जी हस्ताक्षर बनाकर मोपेड बेचने व विरोध करने पर जातिसूचक शब्द बोलने के मामले में आरोपित पति को नहीं मिलीं राहत। विशेष /अनन्य न्यायाधीश (एससी-एसटी) एक्ट अनुरोध मिश्र की अदालत ने ग्राम लोहरौली थाना पैकोलिया, जिला बस्ती निवासी आरोपित गिरसन्त कुमार यादव के अपराध की गंभीरता को देखते हुए जमानत अर्जी खारिज कर दी। अदालत में जमानत अर्जी का विरोध अधिवक्ता नदीम अहमद खान, अशोक कुमार व मनोज कुमार ने किया।
अभियोजन पक्ष के अनुसार पचहुंआ, थाना रसड़ा जिला बलिया व हाल पता ग्राम सीओ थाना चौबेपुर निवासिनी वादिनी श्रीमती बबीता ने न्यायालय में गिरसन्त कुमार यादव एवं रामचंद्र पटेल के विरुद्ध दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 156 (3) के अंतर्गत प्रार्थना पत्र प्रस्तुत कर कहा कि वह अनुसूचित जाति की चमार है तथा उसका विवाह 18 फरवरी 2012 को गिरसन्त यादव के साथ संपन्न हुआ है और दोनों के नुत्फे से एक बच्चा पैदा हुआ है तथा दोनों के मध्य विवाद उत्पन्न होने के कारण वह 27 नवंबर 2016 को वह बच्चे को लेकर गिरसन्त यादव से अलग रहने लगी। वादिनी की मोटरसाइकिल की द्वितीय प्रति गिरसन्त कुमार यादव ने आरटीओ कार्यालय से निकालकर वादिनी का जाली व फर्जी हस्ताक्षर व कूटरचना करके बेची नामा तैयार कर वादिनी की अनुपस्थिति में आरटीओ कार्यालय को मिलाकर अभियुक्त रामचंद्र पटेल को 15 सितंबर 2018 को बेचकर उसके नाम हस्ताक्षर करा दिया। 27 दिसंबर 2021 को समय करीब 2:00 बजे अभियुक्त गण एक राय करके वादिनी के निवास ग्राम सिवो थाना चौबेपुर से उक्त मोटरसाइकिल लेकर जाने लगे तब वादिनी ने प्रतिरोध किया तो गिरा कुमार यादव ने आदमी को मां बहन की गाली व माधर...... चमारिया, सियारिया की भद्दी - भद्दी गालियां देते हुए कहने लगा कि इस गाड़ी को बेच दिया है और अभियुक्त वादिनी का अपहरण व हत्या करने की धमकी देते हुए गाड़ी लेकर चले गए। वादिनी ने आरटीओ कार्यालय से पता किया तो ज्ञात हुआ कि उक्त मोटरसाइकिल से वादिनी का नाम खारिज होकर रामचंद्र पटेल का नाम दर्ज हो गया है। वादिनी ने 30 दिसम्बर 2019 को वाकये की सूचना थाना चौबेपुर पर दिया तो थाना चौबेपुर के सब इंस्पेक्टर रामचंद्र पटेल के घर से मोटरसाइकिल बरामद कर थाने ले गए और 8 जनवरी 2020 को वादिनी व अभियुक्त गण को बुलाए और पूछताछ करने के बाद उसकी रिपोर्ट दर्ज नहीं किये। वादिनी ने घटना की सूचना पुलिस अधीक्षक वाराणसी को दिया और पुलिस द्वारा कोई कार्रवाई न किए जाने पर न्यायालय में दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 156 (3) दर्ज कराया था।