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भाजपा नेता दयाशंकर मिश्र

अशोक कुमार मिश्र
प्रधान संपादक
 12/Mar/19

"देर आए दुरुस्त आए" आज इस मुहावरे को चरितार्थ किया भारतीय जनता पार्टी के शीर्ष नेताओं ने।  जिन्होंने आज से लगभग साढ़े चार साल पहले कांग्रेस के कद्दावर नेता डॉ. दयाशंकर मिश्र " दयालु " ने भाजपा का दामन थामा तो उन्हें इस बात का भरोसा और विश्वास था कि उन्हें शहर दक्षिणी का प्रत्याशी जरूर बनाया जाएगा, क्योंकि इस क्षेत्र में उनकी अलग पहचान है। इतने लंबे इंतजार के बाद दयालु को पूर्वांचल विकास बोर्ड का उपाध्यक्ष (राज्यमंत्री का दर्जा ) बनाये जाने पर उनके समर्थकों को खुश करने का प्रयास किया गया है। क्योंकि पिछले विधानसभा में टिकट ना मिलने पर दयालु ने तो पिछले विधानसभा चुनाव में ही सक्रिय राजनीति किनारा कर लिया था। 
बताते चलें कि जब प्रधानमंत्री मोदी आज से साढ़े चार साल पहले जब बनारस लोकसभा से चुनाव लड़ने का मन बनाए, उसी दौरान पार्टी के रणनीतिकारों ने कांग्रेस के कद्दावर नेता डॉ. दयाशंकर को भाजपा में शामिल करा लिया। इन्हें शामिल कराने वालों की फेहरिस्त में सबसे मजबूत नाम पत्रकार हेमंत शर्मा का प्रचारित होता रहा। बाद में वे भी बेगाने हो गए। कांग्रेस छोड़कर पूरे दिल - दिमाग से भगवा के साथ देनें वाले दयालु जब भाजपा के रणनीतिकार अमित शाह के सामने भाजपा में शामिल हुए तो उनके साथ हजारों कार्यकर्ताओं की लंबी चौड़ी सेना भी मोदी जी को सांसद बनाने में जुट गई थी। मोदी जी प्रधानमंत्री बन गए, किन्तु इसके बाद विधानसभा टिकट बंटवारे की बारी आई तो यहां दयालु को न केवल मायूस होना पड़ा बल्कि उनके विरोध में भाजपा शहर दक्षिणी का एक खेमा उनकी छवि को खराब करने की मुहिम में जुट गया। 
उन्होंने कई बार क्लाउन टाइम से बातचीत करते हुए यहां तक कहा कि उन्हें सक्रिय राजनीति में कोई रुचि नहीं है। इस दौरान अन्याय प्रतिकार यात्रा के दौरान दयालु पर दर्जनों अपराधिक मुकदमे लादे गए। भाजपा में रहते ही हुए भेलूपुर थाने में अकारण आपराधिक मुकदमा दर्ज हुआ किंतु किसी दिग्गज भाजपाई ने उनका साथ नहीं दिया। शहर दक्षिणी के पूर्व विधायक श्यामदेव राय चौधरी उन के सबसे बड़े विरोधी रहे। दादा का टिकट कटने के बाद अब वह भी अपनों के लिए बेगाने हो गए हैं। गाहे-बगाहे जब भी प्रदेश और केंद्रीय नेतृत्व के किसी बड़े नेताओं का बनारस में जब भी आगमन हुआ दयालु को हासिए पर रखा गया। खासकर बनारस के किसी जनप्रतिनिधि ने इन्हें कभी तवज्जो नहीं दिया।
अब लोकसभा 2019 के चुनाव की रणभेरी बज चुकी है। ऐसे में शायद भाजपा के शीर्ष नेतृत्व को लगा होगा कि कहीं दयालु भाजपा छोड़कर कांग्रेस में शामिल न हो जाए, अथवा जिसने जितने जोश और खरोश के साथ वे पिछले लोकसभा चुनाव में नरेंद्र मोदी को सांसद का चुनाव जिताने में भाजपा से अलग अपनी पूरी फौज के साथ लगे थे, शायद अपनी उपेक्षा से वे इस बार निष्क्रिय ही रहते। ऐसे में उन्हें राज्यमंत्री का दर्जा देकर भाजपा ने खुद को मजबूत किया। 
बनारस संसदीय क्षेत्र में ब्राह्मणों सहित हर वर्ग में दयालु की अच्छी पकड़ है। उनके भाजपा में शामिल होने के बाद भी हर वर्ग में उनकी आज भी लोकप्रियता जस की तस है, खासकर मुस्लिम इलाकों में वे सम्मान की नजर से देखे जाते हैं। भले ही उन्होंने भगवा धारण कर लिया है, फिर भी के सभी के सुख- दुख के साथी हैं। उनके हर मांगलिक कार्यों में दयालु की उपस्थिति को नकारा नहीं जाता।
कुल मिलाकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र बनारस के आगामी लोकसभा चुनाव 2019 के मद्देनजर दयालु को राज्यमंत्री का दर्जा देना बड़ी बात है, इससे पार्टी मजबूती होगी और सभी लोगों में एक बड़ा संदेश जाएगा।
 


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