MENU

श्री काशी विश्वनाथ धाम में आरती प्रबंध एवम पुष्प अर्पित करने वाली दक्षिण भारत की प्रतिष्ठित सोसाइटी की जमीन को पुलिस ने भू-माफिया से कराया मुक्त



 27/May/22

पिछले 209 वर्षों से श्री काशी विश्वनाथ मंदिर में आरती प्रबंध एवम पुष्प अर्पित करने वाली सिगरा स्थित दक्षिण भारत की प्रतिष्ठित सोसाइटी काशी नद्रूक्कोट्टई नागराक्षत्रम के 63,000 वर्ग फुट की भूमि को हड़पने को लेकर समाजवादी पार्टी के नेता आनंद मोहन गुड्डू और उनके दो भाइयों कृष्ण मोहन यादव और संजय यादव के खिलाफ IPC धारा419,447'467' 468'506'120B के तहत सिगरा थाना में प्राथमिकी दर्ज कराई गयी थी।

ये वही आनंद मोहन है जिन्होंने 2017 में शिवपुर निर्वाचन क्षेत्र से विधानसभा चुनाव लड़ा था। इस मामले के तीनों आरोपी भाई एक सेवानिवृत्त पुलिस अधिकारी के बेटे हैं।

जब काशी नद्रूक्कोट्टई नागराक्षत्रम के पदाधिकारियों ने पुलिस आयुक्त से मुलाकात कर शिकायत की कि उनके संगठन की भूमि पर कब्जा कर उन्हें प्रवेश से वंचित कर दिया गया है तब वाराणसी पुलिस हरकत में आई और जांच के दौरान पता चला कि काशी नद्रूक्कोट्टई नागराक्षत्रम ने 1890 में अराज़ी नंबर 538, 537 और 536 के 63,000 वर्ग फुट क्षेत्र को अपने नाम से पंजीकृत करवाया था। इस भूमि का उपयोग काशी विश्वनाथ मंदिर के श्रृंगार हेतु फूल उगाने के लिए किया जाता था और बगीचे का नाम नंदन वन रखा गया था।इसके अलावा वहाँ भगवान शिव के मंदिर के साथ एक लॉज भी मौजूद है।

आनंद मोहन और उनके भाइयों ने 2003 में 4,000 वर्ग फुट क्षेत्र में लॉज खरीदने के एक अवैध समझौते के माध्यम से पूरी जमीन पर कब्जा कर लिया और यहाँ तक कि दरवाजे पर ताला लगाकर काशी नद्रूक्कोट्टई नागराक्षत्रम के सदस्यों को प्रवेश करने से रोकने के साथ ही उन्हें गंभीर परिणाम भुगतने की धमकी तक दे डाली। ततपश्चात आनंद मोहन और उनके भाइयों ने इस भूमि का उपयोग विवाह लॉन के रूप में करना शुरू कर दिया।

कमिश्नर सतीश गणेश ने 8 मई को पुलिस उपायुक्त वरुणा जोन आदित्य लाग्हें एवं अपर पुलिस उपायुक्त वरुणा जोन प्रबल प्रताप सिंह को भूमि कब्जा मुक्त कराने का निर्देश दिया और दोनो अधिकारियो ने कठोर कार्रवाई करते हुए सम्पूर्ण भूमि को कब्जा मुक्त कराकर पुनः काशी नद्रूक्कोट्टई नागराक्षत्रम समिति को सौंप दिया. इस संपत्ति का मौजूदा बाजार मूल्य 240 करोड़ रुपये से अधिक है।


इस खबर को शेयर करें

Leave a Comment

2489


सबरंग