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अधिवक्ता शैलेन्द्र प्रताप सिंह सरदार की प्रथम पुण्यतिथि पर दी श्रद्धांजलि



 27/May/22

इतनी जल्दी कोई पास आयें और अपना बनाकर भाई- दोस्त जैसा प्यार देकर चला जाये तो बहुत लोगों को कष्ट होता है। हम बात कर रहे है उस शख्स की जो अपने को अपना नहीं समझा। तमाम उम्र और अपना पूरा जीवन समाज के लिए न्योछावर कर दिया। ऐसे जिंदा दिल इंसान थे शैलेंद्र प्रताप सिंह सरदार। उक्त बातें शैलेंद्र प्रताप सिंह सरदार के प्रथम पुण्य तिथि पर उनके छोटे भाई व उच्च न्यायालय के अधिवक्ता कौशलेंद्र प्रताप सिंह ने कही।

उन्होंने शैलेंद्र प्रताप सिंह सरदार के व्यक्तित्व व कृतित्व की चर्चा करते हुए कहा की जितना भीड़ किसी विधायक या सांसद के घर देखने को मिलता है, उससे ज्यादा शैलेन्द्र सरदार के घर भीड़ रहती थी। यकीन के साथ कह रहा हूं कि शैलेन्द्र सरदार जिस किसी की पैरवी कर दे, वह पत्थर की लकीर साबित होती थी। चाहें प्रशासनिक हो या सत्ता शासन सभी जगहों पर उनकी पकड़ रहती थी। इसका अंदाजा इसी बात से लगता है की जब उनके शव यात्रा व तेरहवीं में हजारों लोगों की भीड़ उमड़ पड़ी थी। कौशलेंद्र प्रताप सिंह ने बताया की भैया के जाने से पूरी व्यवस्था अस्त-व्यस्त हो गई है। जिस तरह मेरे घर पहले लोगों का तांता लगा रहता था, अब किसी का पता नहीं चलता उनके जाने से सब खत्म हो गया। पूरा घर सूनसान और वीरान हो गया। वहीं भैया के जाने के बाद से ही यूपी कॉलेज से सेवानिवृत हुए अध्यापक पिताजी सुरेंद्र प्रताप सिंह बीमार रहने लगे है।


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