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मिर्गी की बीमारी किसी भी उम्र में हो सकती है, शुरू में ही पता हो जाये तो इलाज़ है आसान : डॉ. प्रो. आरएन चौरसिया



 16/May/22

पिछले दिनों IMS -BHU में क्लाउन टाइम्स के रिपोर्टर दिनेश मिश्र ने न्यूरोलॉजी विभाग के डॉ. प्रो. रामेश्वर नाथ चौरसिया से अनौपचारिक मुलाकात की एवं मिर्गी के रोग के बारे में बातचीत की जिसके मुख्य अंश इस प्रकार है। डॉ. चौरसिया ने बताया कि मिर्गी रोग का कारण मुख्य रूप से दिमाग से सम्बंधित रोग जैसे मैनिनजाइटिस, इन्सेफेलाइटिस व अन्य दिमाग के इन्फेक्शन, ट्यूमर व ब्रेन में स्कार बन जाना हैं। ब्रेन की नसों में उत्पन्न होने वाली करेंट की मात्रा का अधिक होना भी मिर्गी के झटके का कारण हो सकता है।

लक्षण: मिर्गी रोग के मुख्य लक्षण है मरीज के हाथ व पैरों में कंपन होना जो शरीर के एक से दूसरे भाग में मूव करता है। मरीज़ 2 से 3 मिनट तक बेहोश हो जाता है। झटके के दौरान कभी कभी जीभ दांतो के नीचे आकर कट जाती है। कभी कभी मरीज़ को ऐसी स्थिति में टट्टी व पेशाब भी हो जाती है।

कभी-कभी मरीज़ एक तरफ एकटक, अपलक देखता है व बुलाने पर कोई जवाब नहीं देता।

डॉ. रामेश्वर चौरसिया ने आगे बताया कि मिर्गी का रोग किसी भी उम्र में हो सकता है।रोग की कैटेगरी के अनुसार ईलाज़ का समय निर्धारित होता है। कुछ केसेस में तो ईलाज़ जीवन पर्यन्त चलता है।

डॉ. चौरसिया ने आगे बताया कि मरीज़ को जब मिर्गी का दौरा पड़े तो उसे एक करवट लिटा देना चाहिए व आसपास कोई भी नुकीली या धारदार वस्तु हो तो हटा देना चाहिये। झटके आना 2 से 3 मिनट में बन्द हो जाते है ।इसके बाद मरीज़ को योग्य चिकित्सक को दिखाना चाहिए।

भ्रांतियाँ

झटके के दौरान लोग मरीज़ के मुंह मे पानी डालते है,चप्पल या जूता सुंघाते हैं या मरीज के नाक,मुंह को बन्द करते है ऐसी सोच और भ्रान्ति लोगों के मन में है कि ऐसा करने से मरीज़ ठीक हो जाता है। ऐसा नहीं करना चाहिए इससे मरीज़ को नुकसान पहुंच सकता है।


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