रुषों की उम्र बढ़ने के साथ-साथ प्रोस्टेट ग्रंथि का आकार बढ़ता जाता है। यह कई वर्षों की अवधि के दौरान होता है और कुछ पुरुषों के लिए यह मूत्राशय की समस्याएँ पैदा कर सकता है। मूत्राशय पर खराब नियंत्रण अन्य स्वास्थ्य संबंधी कारणों की वजह से भी हो सकता है। इस विषय पर क्लाउन टाइम्स रिपोर्टर दिनेश मिश्र ने सीधी बात की शाह मल्टी स्पेशलिटी हॉस्पिटल, रविन्द्रपुरी के यूरोलोजिस्ट डॉ. चैतन्य शाह से जिसमें डॉ. चैतन्य शाह ने बताया कि 50 की उम्र के बाद हार्मोनल चेंजेस की वजह से प्रोस्टेट ग्रंथि का आकर बढने लगता है। प्रोस्टेट ग्रंथि का आकार बढ़ने से पेशाब की थैली पर दबाव पड़ता है जिससे पेशाब करने में दिक्कतें शुरू हो जाती है।
लक्षण: प्रोस्टेट ग्रंथि के बढ़ने से अकसर पेशाब खुलकर नही होता, पेशाब रुक-रुक कर थोड़ा-थोड़ा होता है। समय से इलाज न होने पर पेशाब मे जलन होने लगती है व खून भी आने लगता है। लापरवाही से आगे चलकर यह समस्या प्रोस्टेट कैंसर में तब्दील हो जाती है।
जांच: पीएसए Prostate-Specific Antigen (PSA) रक्त-जांच. PSA एक पदार्थ है जो प्रोस्टेट ग्रंथि में पाया जाता है| जब प्रोस्टेट में बढ़त होती है तब खून में PSA की मात्रा बढ़ जाती है| शरीर में अगर PSA की मात्रा असामान्य पाई जाए तो प्रोस्टेट कैंसर का भी खतरा हो सकता है|
यूरोफ्लोमेट्री(Uroflometry): यूरोफ्लोमेट्री द्वारा पेशाब की धार की जांच करते है।
बॉयोप्सी (Biopsy): प्रॉस्टेट कैंसर की जांच के लिये बॉयोप्सी किया जाता है।
ईलाज़: डॉ. चैतन्य शाह के अनुसार फर्स्ट ग्रेड एवं सेकंड ग्रेड लेवल की समस्या दवा से ठीक की जाती है किन्तु थर्ड एवं फोर्थ ग्रेड की बीमारी के लिये सर्जरी ही उपयुक्त ईलाज़ है।
खानपान एवं सावधानी
डॉ. चैतन्य शाह के अनुसार मरीज़ों को 2 से 5 किमी तक रोज़ टहलना चाहिए।
अत्यधिक जल के सेवन से बचें। रोज़ डेढ़ से दो ली. पानी पियें।
हल्का भोजन लें। भोजन में हरी साग, सब्ज़ियों का समावेश करें।
क्षमता के अनुसार योग एवं व्यायाम करें।