उत्तर प्रदेश के चुनावी घमासान में आज 7 मार्च को अंतिम चरण में सबसे ज्यादा घमासान प्रधानमंत्री मोदी के संसदीय क्षेत्र बनारस में देखने को मिला।
सबसे ज्यादा रोमांचक मुकाबला भाजपा के गढ़ वाराणसी शहर दक्षिणी जहां पिछले लगभग 40
वर्षों से भाजपा का कब्जा रहा है वहां 2022 के विधानसभा चुनाव में वर्तमान भाजपा विधायक और सूबे की योगी सरकार के मंत्री डॉक्टर नीलकंठ तिवारी और समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी किशन दीक्षित के बीच कांटे की टक्कर देखने को मिला।
जहां एक ओर समाजवादी पार्टी के समर्थक आज मतदान के दिन पूरे आक्रामक और जोशीले अंदाज में अपने प्रत्याशी के पक्ष में लामबंद होकर मीडिया का कैमरा देखते हैं सूबे की योगी सरकार क्षेत्रीय विधायक के विरुद्ध नारेबाजी करने के साथ ही अपनी शक्ति का प्रदर्शन करते रहे वहीं दूसरी ओर भाजपा कैडर के लोग बड़े ही शालीनता और सौम्यता के साथ पार्टी के पक्ष में चुपचाप सभी भाजपा समर्थित मतदाताओं को पार्टी के पक्ष में मतदान करने के लिए अपील करते रहे।
खासकर मुस्लिम बाहुल्य इलाकों मैं तो जैसे प्रदेश में मतदान के दिन है सपा की सरकार बनने का शंखनाद होने लगा।
बताते चलें कि डॉक्टर नीलकंठ तिवारी के नाम की घोषणा होते ही पार्टी के अंदर उनसे खफा कार्यकर्ता उन्हें सबक सिखाने के लिए अपनी नाराजगी सार्वजनिक रूप से व्यक्त करने लगे जिसका फायदा मृत्युंजय महादेव मंदिर के महंत परिवार के किशन दीक्षित और उनके समर्थकों के लिए मतदाताओं को अपने पक्ष में रिझाने के लिए बड़ा हथियार साबित हो गया।
इस बार के चुनाव में सपा के मुस्लिम तुष्टिकरण और लाल टोपी की छवि से किनारा करते हुए भाजपा के गढ़ को भेदने के लिए किशन दिक्षित के समर्थकों ने बाकायदा भाजपा के हिंदू मतों के ध्रुवीकरण के लिए ललाट पर चंदन लगाकर हिंदू बाहुल्य इलाकों में मतदाताओं को रिहा ने में जुटे थे।
इसी चुनावी रणनीति और सपा के पारंपरिक मतों जिनमें मुस्लिम यादव आदि के समीकरण को अपनी जीत के लिए सबसे मजबूत आधार मानने लगे।
वैसे तो वाराणसी शहर दक्षिणी में कांग्रेस में खानापूर्ति के लिए मुदिता कपूर और बसपा ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराने के लिए दिनेश कसौधन को प्रत्याशी बनाया था। इन प्रत्याशियों को दक्षिणी विधानसभा के मतदाताओं ने कभी सपने में भी नहीं देखा होगा और टिकट पाने के बाद इनका प्रचार कहां हुआ ना तो दिखाई पड़ा और ना ही सुनाई पड़ा।
कांग्रेस प्रत्याशी को पार्टी जो कुछ भी इन्हें हासिल होगा यह इनका भाग्य होगा।
अब हम बात करते हैं भाजपा संगठन के कार्यकर्ताओं की चुनावी रणनीति पर। जिस दिन पीएम मोदी ने चुनाव के अंतिम चरण में बूथ विजय सम्मेलन भाजपा कार्यकर्ताओं को जो महामंत्र दिया इसके बाद वर्तमान विधायक डॉ नीलकंठ तिवारी से नाराज कार्यकर्ताओं ने सूबे में योगी सरकार और केंद्र मोदी सरकार के लिए कमल के फूल पर मतदान कराने के लिए संकल्पित हो गए। पम मोदी के रोड शो के बाद तो बनारस की फिजा ही बदल गई।
साथ ही शहर दक्षिणी में टिकट की दावेदारी करने वालों में सबसे मजबूत डॉक्टर दयाशंकर मिश्र दयालु और तिलक राज मिश्रा अंतिम समय में वर्तमान विधायक नीलकंठ के समर्थन में पूरे जी जान से लग गए, लिहाजा भाजपा के गढ़ में उसे हरा पाना काफी कठिन है। क्योंकि भाजपा में प्रत्याशी नहीं बल्कि एक-एक कार्यकर्ता चुनाव लड़ता है। लिहाजा मतदान में कोई चूक हो ऐसा होना नामुमकिन है।
कुल मिलाकर चुनाव परिणाम आने से पहले कुछ भी दावे के साथ का पाना जल्दबाजी होगी। फिलहाल 7 मार्च को प्रत्याशियों के भाग्य का फैसला ईवीएम में कैद हो चुका है, अब देखना है 10 मार्च को ईवीएम खुलने के बाद किसके सिर पर होगा जीत का सेहरा और किसकी बनेगी सरकार।