फेडेरेशन ऑफ इंडियन एक्सपोर्ट ऑर्गेनाइजेशन (फियो) द्वारा निर्यात पर आम बजट 2022-23 का विश्लेषण तथा चर्चा करने के लिए आयोजित अखिल भारतीय वेबीनार को संबोधित करते हुए केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर एवं सीमाशुल्क बोर्ड (सीबीआईसी) के अध्यक्ष विवेक जोहरी ने कहा कि हमें यह देख कर प्रसन्नता हुई कि महामारी के बाद निर्यात में फिर से तेजी आ गई है और उन्होंने निर्यातक समुदाय की उनकी कड़ी मेहनत के लिए प्रशंसा की। सीबीआईसी अध्यक्ष ने बताया कि रियायती नियमों पर वस्तुओं के आयात के लिए ऑनलाइन मॉड्यूल (आईजीसीआर) अग्रिम चरण में है और 1 मार्च, 2022 से कार्यान्वित किया जाएगा। यह निर्यातकों को बिना किसी भौतिक हस्तक्षेप के शुल्क-मुक्त वस्तुओं की मंजूरी में सहायता करेगा। श्री जोहरी ने कहा कि सरकार ई-कॉम के जरिये आभूषणों के निर्यात को सुगम बनाएगी जिसके लिए एक ‘सरलीकृत नियामकीय ढांचा’ पर काम किया जा रहा है जिसे जून 2022 तक प्रचालनगत किया जाएगा।
इस अवसर पर सीबीआईसी के सदस्य (सीमाशुल्क) श्री राजीव तलवार ने कहा कि सीमाशुल्क टैरिफ में नए सामंजस्यपूर्ण कोड का उपयोग हमें बेहतर तरीके से ड्राबैक तथा अन्य योजनाओं को लक्षित करने में सहायता करेगा। उन्होंने जोर देकर कहा कि वाणिज्यिक डाटा के प्रकाशन पर प्रतिबंध लगाया जाना समय की आवश्यकता थी क्योंकि डाटा के बाहर आने (लीकेज) से निर्यातक प्रभावित हो रहे थे।
गणमान्य व्यक्तियों का स्वागत करते हुए फियो अध्यक्ष डॉ. ए शक्तिवेल ने वित्त मंत्रालय को ऐतिहासिक आम बजट 2022-23 के लिए बधाई दी। उन्होंने कहा कि बजट में डिजिटाइजेशन, डिस्टिलेशन तथा ऑटोमेशन पर फोकस के साथ व्यवसाय करने की सुगमता के विभिन्न प्रभाव हैं। फियो अध्यक्ष ने कहा कि अब जबकि सारा फोकस आत्म निर्भर भारत पर है, विकास के सभी चार स्तंभों-समावेशी विकास, उत्पादकता संवर्धन, ऊर्जा रूपांतरण तथा जलवायु कार्रवाई को छुआ गया है। उन्होंने यह भी कहा कि ट्रिमिंग तथा अलंकरण के रूप में अनुमति प्राप्त मदों की सूची का विस्तार किए जाने की आवश्यकता है और आईटीसी उपलब्धता के नए नियमों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि वास्तविक व्यवसायों को असुविधा न हो।
इससे पूर्व, फियो के महानिदेशक तथा सीईओ डॉ. अजय सहाय ने कहा कि इस वर्ष का आम बजट निवेश तथा अवसंरचना पर फोकस के साथ विकासोन्मुखी है। उन्होंने कहा कि कोलैटेरल-फ्री आपातकालीन क्रेडिट लिंक गारंटी स्कीम को पांच लाख करोड़ रुपये के बढ़े हुए कॉर्पस के साथ एक वर्ष और अधिक विस्तारित करने से छोटे व्यवसायों और विशेष रूप से आतिथ्य तथा पर्यटन क्षेत्र को बढ़ावा मिलेगा जो कोविड-19 से बुरी तरह प्रभावित हुआ है। डॉ. सहाय ने उम्मीद जताई कि 2005 के एसईजेड अधिनियम को एक नए अधिनियम के साथ प्रतिस्थापित करने से एसईजेड स्कीम के योजना की निर्यात केंद्रित प्रकृति से हट कर और अधिक आर्थिक कांकलेव स्कीम बनने की उम्मीद है जहां निर्यात दायित्व पर बिना कोई जोर दिए घरेलू बाजार तथा निर्यात के बीच का अंतर कम हो जाता है।