प्रयागराज हाईकोर्ट में नौकरी लगाने के नाम पर 1754000 की जालसाजी का मामला प्रकाश में आया है। पीड़ित द्वारा उपायुक्त वरुणा जोन के समक्ष उपस्थित होकर 4 जनवरी 2022 को तहरीर दिया गया था और पीड़ित ने अपनी सभी आपबीती पुलिस उपा आयुक्त वरुणा जोन को सुनाई। इस मामले को सुनते हुए मामले की जांच वर्तमान चौकी प्रभारी पुराना पुल थाना सारनाथ कमिश्नरेट संग्राम सिंह को दिया गया। पीड़ितों के साक्ष्य और बयान के आधार पर चौकी प्रभारी पुराना पुल द्वारा जांच की रिपोर्ट उच्चाधिकारी को प्रेषित किया गया, जिसके आधार पर शुक्रवार की दोपहर पांच आरोपियों अनिल कुमार, डॉ चंद्र प्रकाश भारती, दिनेश पटेल, आनंद प्रकाश व ज्योति प्रकाश के ख़िलाफ थाना सारनाथ कमिश्नरेट में 406, 420 का मुकदमा पंजीकृत किया गया और मामले की जांच वर्तमान चौकी प्रभारी संग्राम सिंह के द्वारा किया जा रहा है।
वही जब पीड़ित दुर्गेश मिश्रा पुत्र राम नगीना मिश्रा व विजय तिवारी से जब अपने साथ हुई ठगी के बाद संबंध में पूछा गया तब उनके द्वारा बताया गया कि 6 जनवरी 2019 को हरहुआ ओवर ब्रिज के नीचे अनिल कुमार द्वारा डॉक्टर चंद्र प्रकाश भारती, आनंद प्रकाश, ज्योति प्रकाश व दिनेश पटेल तथा दो अन्य लोगों से मुलाकात कराया गया और अनिल कुमार द्वारा यह कहा गया कि मेरी सफाई कर्मी में सरकारी नौकरी डॉ चंद्रप्रकाश ने ही लगवाया है। इनकी बहुत अच्छी पकड़ उच्च अधिकारियों तक है। इस बात पर अनिल कुमार के झांसे में आकर के 17 लाख 54 हजार रुपया हाईकोर्ट में 4 लोगों की नौकरी लगाने के लिए एडवांस तौर पर दे दिया गया। बाकी शेष पैसा 10 लाख 46 हजार नौकरी लगने के 3 माह के अंदर देने की बात हुई पर जब 3 साल बीत जाने के बाद भी नौकरी नहीं लगी और पैसे भी नहीं मिले। पैसे के लिए पीड़ित ने जब डॉक्टर चंद्रप्रकाश भारती व अनिल कुमार से बात किया जा रहा था तब उन लोगों के द्वारा हीला - हवाली लगातार किया जाने लगा तथा कुछ दिन बाद डॉक्टर द्वारा यह आश्वासन दिया गया कि हाईकोर्ट में नौकरी नहीं लगी तब उससे क्या अपने विद्यालय डॉक्टर भीमराव अंबेडकर का में प्रबंधक हूं और आप लोगों को शिक्षक के तौर पर नौकरी लगवा दूंगा। जिससे आप लोगों की जिंदगी गुजर बसर हो जाएगी और आपका सारा पैसा क्षतिपूर्ति भी पूरा हो जाएगा। इन सभी बातों को पीड़ित ने नहीं आ कर अपने पैसे के लिए बार-बार दौड़ने लगा और इन लोगों द्वारा बार-बार पैसे की हीला हवाली और लगातार झूठ पर झूठ से तंग आकर पीड़ित ने कानूनी कार्रवाई करने को ही ठान कर अपने साथ हुए घटना को उच्च अधिकारी के संज्ञान में देते हुए तहरीर दिया जिसके आधार पर मुकदमा पंजीकृत हुआ।