नकली कोरोना वैक्सीन बनाने और उसके आपूर्ति के लिए लक्ष्य जावा नाम की संस्था को आरोपियों द्वारा अधिकृत किया गया था। लक्ष्य जावा के नेटवर्क द्वारा ही कोरोना की यह अवैध किट और कोरोना का अवैध टीका निजी अस्पतालों सहित दूसरे राज्यों में टीकाकरण के लिए भेजा जा रहा था। जिसकी जानकारी यूपी एसटीएफ की वाराणसी यूनियन को हुई। एसटीएफ व लंका पुलिस ने आरोपियों को माल सहित गिरफ्तार कर लिया। वहीं पूछताछ करने के बाद बृहस्पतिवार को न्यायिक मजिस्ट्रेट (प्रथम) गौरव सिंह की अदालत में पेश किया गया। अदालत ने न्यायिक हिरासत में लेकर आरोपितों को 14 दिन की न्यायिक रिमांड में जेल भेज दिया।
एसटीएफ ने आरोपितों को पकड़ा तो पूछताछ में इसके दूसरे राज्यों और निजी अस्पतालों को आपूर्ति लक्ष्य जावा के नेटवर्क द्वारा किए जाने की जानकारी सामने आई है। कोरोना का टीकाकरण निजी अस्पतालों में भी किया जा रहा है। जहां पर लक्ष्य जावा की ओर से इन अवैध दवाइयों की आपूर्ति का प्रकरण सामने आने के बाद इस संस्था से जुड़े लोगों और पूरी कारगुजारियों की पड़ताल की जा रही है।
एसटीएफ और लंका थाने के साथ ही पुलिस लाइन में हुई पूछताछ पर प्रमुख आरोपी राकेश थवानी ने बताया कि वह संदीप शर्मा, अरुणेश विश्वकर्मा व शमशेर के साथ मिलकर नकली वैक्सीन और कोरोना की टेस्टिंग किट बनाता था वहीं इसको बनाने के बाद लक्ष्य जावा को नेटवर्क के माध्यम से सप्लाई के लिए उपलब्ध करा देता था। लक्ष्य जावा ही वह कड़ी है जो अपने नेटवर्क के द्वारा अलग- अलग राज्यों में यह अवैध वैक्सीन और किट सप्लाई करती थी।
चार करोड़ का माल हुआ था बरामद
एसटीएफ द्वारा अभियुक्तों से पूछताछ कर उनके गिरोह के बारे में जानकारी एकत्र करते हुए अग्रिम विधिक कार्यवाही किया गया। बरामद किट और वैक्सीन के बाजार मूल्य के अनुसार अनुमानित कीमत लगभग चार करोड़ रुपए है। वहीं अब तक चार माह से जिस मकान में काम गुपचुप चल रहा था उसके पूर्व के कारोबार का कोई आंकड़ा सामने अधिकारियों की ओर से नहीं उजागर किया गया है। इस बाबत लक्ष्य जावा के कर्मचारियों और उसके द्वारा उपलब्ध आंकड़ों के बाद ही उजागर होगा कि कहां कहां पर यह अवैध वैक्सीन और कोरोना किट की आपूर्ति हुई है।