हमने अपनों को खोया है, आप भी रहे सावधान, खुद की ही नहीं दूसरों की भी बचाए जान
2019 में आई कोरोना महामारी ने अपने पहले और दूसरे प्रकोप से पूरे देश को क्षति पहुंचाया है, जाने-अनजाने में हम सभी ने अपनों को खोया और यह सीख ली की इस विकट स्थिति में अपनों का साथ क्या मायने रखता है। कोरोना संक्रमण के कारण हमने अपनों को खोया है। अच्छी खासी गृहस्थी को बिगड़ते देखा है। जरा सी लापरवाही हर किसी के लिए खतरनाक हो सकती है। बस जरूरत है टीके की दोनों खुराक लेने और कोविड प्रोटोकाल का पूरी तरह पालन करने की। इसी बीच कुछ ऐसे भी लोग है जिन्होंने अपनों को खाने के बाद दूसरों को सावधान रहने की एक मुहिम चलाई है, जिससे इस अदृश्य वायरस से बचा जा सके। कोविड की तीसरी लहर में ऐसे लोग खुद तो सतर्क हैं हीं दूसरों को इसके लिए जागरूक कर रहे हैं। गिलट बाजार निवासी प्रांजल अपने काम-धाम के बीच समय निकाल कर हर रोज मित्रों के साथ लोगों को कोविड से सतर्क रहने के लिए जागरुक करते हैं। वह लोगों को बताते हैं कि कोरोना की पहली लहर में किस तरह उन्होंने अपने पिता को खोया। उसके बाद किस तरह उनके परिवार ने परेशानियों को झेला। वह लोगों को समझाते है कि परेशानियों से बचने का एकमात्र उपाय सतर्कता है। कोविड टीका लगवाने के साथ ही अगर हम कोविड प्रोटोकाल का पूरी तरह पालन करें, तो आप उस बड़ी मुसीबत से बच सकते है जिसे खुद उन्होंने झेला है।
प्रांजल बताते हैं कि पिता के निधन के बाद तो ऐसा लगा जैसे सबकुछ तहस-नहस हो गया। खुद के साथ ही बहनों की पढ़ाई कैसे होगी, परिवार का खर्च कैसे चलेगा यह चिंता रात-दिन सताने लगी थी। वह एक ऐसा संकट का दौर था जिसके बारे में सोच कर ही कलेजा कांप उठता है। उस समय पूरा परिवार कोविड से ग्रसित था। प्रांजल कहते है, कोविड के चलते हमने ऐसी परेशानियों को झेला है जिसका सामना ईश्वर करे किसी को न करना पड़े। यही कारण है कि वह उन्होंने अब दूसरों को सतर्क रहने के लिए इन दिनों अभियान चला रखा है।
भोजूबीर के रहने वाले अरविन्द भी इन दिनों कुछ ऐसा ही कर रहे है। पेशे से दवा व्यवसायी अरविन्द ने अपने बड़े पिता जी को कोविड की दूसरी लहर में खोया है। वह बीएलडब्लयू कारखाने के कर्मचारी थे। किसी और के घर में ऐसी विपदा न आये इसके लिए अरविन्द भी लोगों को कोविड प्रोटोकाल का पालन करने के लिए जागरूक करने का काम कर रहे हैं। अरविन्द बताते है कि अधिकांश लोग इस गंभीर बीमारी पर पूरे दिन चर्चा करते रहते है लेकिन जब मास्क लगाने या दो गज की दूरी का पालन करने की बात आती है तो वह खुद इस मामले में लापरवाह हो जाते है। ऐसे लोगों को भ्रम होता है कि कोविड दूसरों को तो होगा, उन्हें नहीं। अरविन्द बताते है कि वह लोगों को यही समझाने का काम कर रहे है कि कोविड किसी को भी हो सकता है। इसलिए कोविड प्रोटोकाल का पालन करना जरूरी है।
पहड़िया निवासी दिव्यांशू ने कोविड की दूसरी लहर में अपने पिता को खोया। पिता के न रहने पर अचानक आई परिवार की जिम्मेदारियों को उठाने के साथ-साथ ही दिव्यांशू ने भी कोविड प्रोटोकाल का पालन कराने के लिए अभियान चला रखा है। वह सामने पड़े ऐसे हर व्यक्ति को रोकते और टोकते है जिन्होंने मास्क नहीं पहन रखा होता है। उसे मास्क के महत्व के बारे में समझाते हैं, इसके साथ ही अपने सामने आयी परेशानियों का हवाला देते हुए यह सभी को यह समझाते हैं कि मास्क पहनना सभी के लिए क्यों जरूरी है। अपने दोस्तों-मित्रों को फोन कर वह सभी से पूछते हैं कि उन्होंने कोविड का टीका लगवाया है या नहीं। न लगवाने वाले को जल्द से जल्द लगा लेने की सलाह देते हैं। दिव्यांशू का मानना है कि यदि हर व्यक्ति सजग हो जाए और टीकाकरण कराने के साथ ही कोविड नियमों का पालन करे तो कोरोना को आसानी से हराया जा सकता है। उनका मानना है कि बूंद-बूंद से ही घड़ा भरता है, ऐसे में जरूरी है सभी को अपने स्तर पर ऐसे ही अभियान चलाने की जिससे कोविड़ पर विजय पायी जा सके।