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विश्वकर्मा समाज ने मनाई राष्ट्रपति ज्ञानी जैल सिंह की पुण्यतिथि



 25/Dec/21

अखिल भारतीय विश्वकर्मा शिल्पकार महासभा के तत्वावधान मे समाज के लोगो ने पूर्व राष्ट्रपति को किया याद

विश्वकर्मा समाज के लोगो ने अखिल भारतीय विश्वकर्मा शिल्पकार महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष व पूर्व मंत्री रामआसरे विश्वकर्मा के दिशा निर्देश पर अखिल भारतीय विश्वकर्मा शिल्पकार महासभा के लोगों ने पूर्व राष्ट्रपति स्व. ज्ञानी जैल सिंह की पुण्यतिथि के अवसर पर समाज के लोगो ने याद किया एवं उनके तैल चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित कर श्रधांजलि दी।

सपा महानगर अध्यक्ष एवं अखिल भारतीय विश्वकर्मा शिल्पकार महासभा के महानगर अध्यक्ष विष्णु शर्मा ने कहा कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि स्व० ज्ञानी जैल सिंह 15 वर्ष की उम्र में ही बिट्रिश विरोधी मुहिम में जुड गए थे, उनका पंजाब के गरीब बढई परिवार मे जन्म हुआ था। पूर्व राष्ट्रपति स्व. ज्ञानी जैल सिंह के निधन के 27 वर्ष हो चुके हैं। ज्ञानी जैल सिंह देश के एकमात्र सिख राष्ट्रपति रहे हैं। वह 15 वर्ष की आयु में ही वह ब्रिटिश सरकार के विरुद्ध काम कर रहे अकाली दल से जुड़ गए थे।

अखिल भारतीय विश्वकर्मा शिल्पकार महासभा के महानगर अध्यक्ष विष्णु शर्मा सहित समाज के लोगो ने चौकाघाट स्तिथ श्री विश्वकर्मा सभा पंचायती बाग पर पूर्व राष्ट्रपति स्व. ज्ञानी जैल सिंह के तैल चित्र पर पुष्प अर्पित कर श्रद्धांजलि दी।

श्री शर्मा ने बताया कि ज्ञानी जी का वास्तविक नाम जरनैल सिंह था। इनका जन्म 5 मई, 1916 को फरीदकोट-कोटकपूरा हाइवे पर स्थित संधवां गांव में हुआ था। उनके पिता भाई किशन सिंह एक समर्पित सिख थे। वह गांव में ही बढ़ई का कार्य करते थे, छोटी उम्र में ही जरनैल सिंह की माता का देहांत हो गया था। उनका पालन-पोषण माता की बड़ी बहन द्वारा किया गया।

राष्ट्रपति के रूप में उनका कार्यकाल शुरू से अंत तक विवादों से ही घिरा रहा। आपरेशन ब्लू स्टार के दौरान ज्ञानी जैल सिंह ही राष्ट्रपति थे। इसके अलावा भारतीय डाक विधेयक, जिसके अंतर्गत निजी पत्रों के संप्रेषण और आदान-प्रदान पर आधिकारिक सेंसरशिप लगाने का प्रावधान लागू किया जा सकता था, जैसे कठोर विधेयक को पास ना करने पर भी ज्ञानी जैल सिंह का प्रधानमंत्री राजीव गांधी से भी मनमुटाव हो गया था।

दिल्ली में जहां ज्ञानी जैल सिंह का दाह-संस्कार किया गया उसे एकता स्थल के नाम से जाना जाता है। वह देश के पहले सिख राष्ट्रपति थे। वह देश और अपने धर्म के लिए प्रतिबद्ध और जनता के हितों की रक्षा करने वाले व्यक्ति थे। उन्होंने अपने कार्यकाल में यह बात प्रमाणित कर दी थी कि जनता और देश का विकास ही उनकी प्राथमिकता है।

साथ ही अखिल भारतीय विश्वकर्मा शिल्पकार महासभा के लोगों ने डॉक्टर सिद्धेश्वर नाथ संस्थापक एवं प्रथम अध्यक्ष श्री विश्वकर्मा सभा वाराणसी का उनके तैल चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित कर जयंती भी मनाई।

कार्यक्रम में अखिल भारतीय विश्वकर्मा शिल्पकार महासभा महानगर अध्यक्ष विष्णु शर्मा, अखिल भारतीय विश्वकर्मा शिल्पकार महासभा के कार्यवाहक अध्यक्ष संजू विश्वकर्मा, यूथ ब्रिगेड अखिल भारतीय विश्वकर्मा शिल्पकार महासभा के जिलाध्यक्ष अभिषेक विश्वकर्मा ( बच्चा), अखिल भारतीय विश्वकर्मा शिल्पकार महासभा के जिला उपाध्यक्ष व मीडिया प्रभारी संदीप शर्मा, राकेश विश्वकर्मा, प्रभु दयाल विश्वकर्मा, महेंद्र कुमार विश्वकर्मा आदि लोग मौजूद रहे।


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