किशोर को बंधक बनाकर किशोरी के परिजन जबरन कर रहे थे शादी
बजरडीहा क्षेत्र में एक किशोरी के बाल विवाह कराने का प्रयास चाइल्ड लाइन की सक्रियता से विफल हो गया। खास बात यह रही की किशोर भी नाबालिग निकला। किशोरी के परिवार वाले किशोर को बंधक बना कर जबरन उसकी शादी करा रहे थे। चाइल्ड लाइन ने चार माह के भीतर यह तीसरा बाल विवाह होने से रोका है। इसके पहले दुर्गाकुण्ड और चोलापुर इलाके में हो रहे बाल विवाह को रोकने में चाइल्ड लाइन ने सफलता हासिल की थी।
चाइल्ड लाइन के हेल्पलाइन नम्बर 1098 पर किसी ने सूचना दी कि बजरडीहा की मलिन बस्ती में नाबालिग किशोरी का बाल विवाह हो रहा है। सूचना मिलते ही चाइल्ड लाइन के निदेशक मजू मैथ्यू ने जिला बाल संरक्षण अधिकारी निरूपमा सिंह से संपर्क किया। इसके बाद चाइल्ड लाइन व जिला बाल संरक्षण इकाई की एक टीम बजरडीहा पुलिस चौकी से पुलिस को साथ लेकर मलिन बस्ती पहुंची। इस टीम में रामप्रताप चौहान, खुशबू भारती, अंकुर यादव, गोविन्द गुप्ता व बाल संरक्षण इकाई के राजकुमार शामिल थे। टीम जब पुलिस के साथ वहां पहुंची तब वहां शादी की रस्म हो रही थी। पुलिस टीम को साथ देख वहां अफरा-तफरी मच गयी। चाइल्ड लाइन के निदेशक मजू मैथ्यू ने बताया कि किशोरी और किशोर के परिजनों को बजरडीहा पुलिस चौकी लाकर पूछताछ की गयी तो पता चला कि न सिर्फ किशोरी बल्कि किशोर भी नाबालिग है। कुछ दिन पूर्व दोनों एक साथ घर से कहीं चले गये थे और तीन दिन बाद लौटे। इस मामले को लेकर किशोरी के परिवार वाले बेहद नाराज हुए। उन्होंने किशोर के परिजनों से शादी के लिए दबाव बनाया। उनके इनकार करने पर किशोरी के परिवार के लोगों ने किशोर को बंधक बना लिया और उसकी जबरन किशोरी से शादी करा रहे थे। परिजनों के लिखित आश्वासन पर कि भविष्य में ऐसी गलती नहीं करेंगे, किशोरी को घर जाने की अनुमति प्रदान कर दी गई। चाइल्ड लाइन निदेशक मजू मैथ्यू के अनुसार किशोर व किशोरी को बाल कल्याण समिति के सामने प्रस्तुत किया जाएगा, इसके बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी।
किसी भी बालक का विवाह 21 साल एवं बालिका का 18 साल के होने के बाद ही किया जा सकता है। यदि कोई भी व्यक्ति इस निर्धारित उम्र से काम उम्र में शादी करता है तो उसे बाल विवाह करार दिया जायेगा। भले ही वह सहमति से ही क्यों न किया गया हो। सहमति से किया गया बाल विवाह भी कानूनी रूप से वैध नहीं होता। बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम -2006 के अंतर्गत बाल विवाह होने पर दो वर्ष की सजा अथवा एक लाख का जुर्माना अथवा दोनों का प्राविधान है।