अपर सत्र न्यायाधीश (सोलहवां) शिखा श्रीवास्तव की अदालत ने छल व धोखाधड़ी कर फर्जी प्रपत्रों के आधार पर शादी करने वाले आरोपी ग्राम कोइराजपुर, थाना बड़ागाव निवासी 39 जीटीसी आर्मी कैप्टन फूलचंद प्रसाद की जमानत अर्जी सुनवाई के बाद खारिज कर दी। अदालत में जमानत अर्जी का विरोध यूपी बार कौंसिल के पूर्व चेयरमैन व वरिष्ठ अधिवक्ता हरिशंकर सिंह ने किया।
⚡अभियोजन पक्ष के अनुसार वादिनी लोहता थाने में प्राथमिकी दर्ज करायी थी। आरोप था कि वादिनी का विवाह 12 मई 2018 को हिंदू रीति रिवाज से मंदिर में समझ गवाहान राजवीर सिंह रघुवंशी पुत्र से हुई थी। चूँकि विपक्षी वादिनी की शादी से दो साल पूर्व में बाटा शोरूम में आर्मी की वर्दी में 3 स्टाल लगाए खुद को 39 जीटीसी वाराणसी में कैप्टन पद पर तैनात आर्मी का कार्ड दिखाते हुए बातचीत करने लगा और फोन नंबर भी दिया। वादिनी के पिता ने होली पर मिलने को बुलाया, उसके चार महीने बाद वादिनी के पिता से शादी की बात किया और उसके द्वारा वादिनी की पहली शादी का सच राजवीर सिंह से बताया गया। इसकी कोई बात नहीं कह कर दो साल बाद शादी करने को कहा। अपना नाम राजवीर सिंह रघुवंशी पेशा आर्मी में कैप्टन 39 जीटीसी वाराणसी, पिता सूर्य नारायण सिंह रघुवंशी पेशा विकास भवन में बड़े बाबू लखनऊ, चाचा हरिचरा सिंह पीसीएस अधिकारी बाराबंकी जाती छतरी बताया।
प्रमाण मांगने पर ड्राइवरी लाइसेंस, पैन कार्ड, स्टेट बैंक पासबुक, चेक बुक, राजवीर सिंह रघुवंशी का दिया, विभाग में जाकर पता करने पर सच साबित हुआ। राजवीर सिंह ने अपने पिता से फोन पर बात कराई, जिस पर उनके पिता ने स्वीकृत दी और कहा कि लड़की तलाकशुदा है इसलिए किसी मंदिर से शादी कर दी जाए और हैदराबाद से रिसेप्शन कर दिया जाएगा। शादी के बाद हैदराबाद में किसी की मृत्यु बताकर एक साल तक विदाई नहीं हुई। इस बीच वह दो बार गर्भवती हुई, लेकिन राजवीर व उसके घर वालों ने उसकी इच्छा के विरुद्ध उसका गर्भपात करा दिये। कुछ दिन बाद शिवपुर थाना पर एक मामला आया, जिसमें राजवीर सिंह पर फर्जी तरीके से नौकरी लगवाने, कैंटीन से सामान निकालने के एवज में काफी रुपए लिए गए। इस मामले के बाद राजवीर सिंह ने अपना ट्रांसफर बेंगलुरु करा लिया। कुछ दिनों बाद 138 एनआईएक्ट का मामला अजय बनाम आनंद कुमार आने पर शिवपुर थाने पर वह फूलचंद व आनंद से पहली बार मिली थी, जो हू ब हू राजवीर जैसा ही दिखता था, लेकिन दो आईडी होने के कारण कुछ पता न चल सका। 20 जनवरी 2020 को वादिनी का रिसेप्शन वाराणसी से हुआ, परंतु उसमें आनंद कुमार नहीं आए थे, क्योंकि रिसेप्शन से कुछ दिनों पूर्व ही डीएसपी में चयन हुआ था। तब शक हुआ। जांच पड़ताल किया तो पता चला कि राजवीर सिंह रघुवंशी पुत्र सूर्यनारायण नाम का कोई व्यक्ति नहीं है। आनंद कुमार व उसके पिता ही फर्जी आईडी पर लोगों को ठगने का कार्य करते हैं। इसी प्रकार कई तरह से वादिनी को षड्यंत्र करके धोखा दिया गया है। न्यायालय ने अभियुक्त फूलचंद प्रसाद की ओर से थाना लोहता के अपराध संख्या 37 / 2021 धारा 420 के मामले में प्रस्तुत जमानत प्रार्थनापत्र को खारिज कर दिया है।