देश व प्रदेश की सरकारों का दावा है कि वे व्यापारियों की पार्टी है। स्वयं प्रधानमंत्री मोदी ने खुद को एक सफल व जानकार बनिया अपने को बताया है। यह सवाल उठता है कि विगत 7 वर्षों के कार्यकाल में व्यापारियों और उद्यमियों वर्ग के लिए उनकी नीति उलट रही है। वयापारी वर्ग को सभी सरकारी विभागों दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। सरकार ने तो व्यापारियों को भारी-भरकम टैक्स की वसूली का जरिया बना रखा है। सरकारी विभागों में चाहे जीएसटी हो, इनकम टैक्स हो, विद्युत मूल वसूली हो सभी प्रकार के लाइसेंसी में अनेक प्रकार की परेशानियां आती, इन्सपेक्टर राज हावी है, जिसके चलते व्यापारियों को आए दिन अपमानित होना पड़ता है। इन परेशानियों से निजात दिलाने के लिए व्यापार प्रकोष्ठ के माध्यमसे निरन्तर संघर्ष करेगी।
भारतीय जनता पार्टी पिछली यूपीए सरकार के समय चाहे जीएसटी हो एफडीआई हो इन सभी प्रावधानों का निरंतर विरोध करती रही। उन्हीं को हथियार व कमाई का जरिया बनाकर व्यापारियों का दोहन कर रही है। यहॉ तक की बैंकों में जमा व निकासी दोनों प्रक्रिया में चार्ज वसूल किया जा रहा है। पहले नोटबंदी उसके लगभग डेढ़ वर्षो से कोरोना ने व्यापारियों की कमर तोड़ दिया है। आए दिन महंगाई बढ़ती जा रही है डीजे में पेट्रोल की कीमतों में वृद्धि हो रही है इसका दुष्परिणाम यह है कि आम जनता की जेब पर भारी असर पड़ रहा है।
इस कार्यक्रम के प्रमुख रुप राघवेन्द्र चौबे, राजेश्वर पटेल, दुर्गाप्रसाद गुप्त, महेश चन्द्र माहेश्वरी, विपिन पाल, मनोज वर्मा ‘मनू’ आदि लोग मौजूद रहे।