दुनिया में पत्रकारों के सभी बड़े संगठन बनारस के विजय विनीत को देते हैं अहमियत
पिछले 32 सालों से पत्रकारिता में अपनी कलम का जादू बिखेरने वाले विजय विनीत किसी संगठन के मोहताज नहीं है। इन्होंने अपनी लेखनी के दम पर अपना नाम इतना बड़ा कर लिया है कि दुनिया के सभी बड़े पत्रकार संगठन इनकी तारीफ करते हैं।
विजय विनीत ने आज तक किसी अफसर नेता या अखबार प्रबंधन का धौस बर्दाश्त नहीं किया। जिसने धौस दिखाने की कोशिश की है उसको करारा जवाब दिया। हाल में उन्होंने जनसंदेश टाइम्स को ठोकर मारी और छोड़ कर चले गए, जबकि वह पिछले 9 सालों से वो इस अखबार के 'आइकन' बने हुए थे।
विजय विनीत ने जनसंदेश जैसे न्यूनतम सर्कुलेशन वाले अखबार को बड़ी पहचान दिलाई। सिर्फ भारत ही नहीं दुनिया में अपनी कलम का लोहा मनवाया। दुनिया में पत्रकारों की सबसे बड़ी संस्था रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स, फ्रांस ने कोरोनाकॉल में बेहतरीन रिपोर्टिंग के लिए विश्व के जिन तीस पत्रकारों को कोरोना इनफॉरमेशन हीरोज का खिताब दिया उसमें विजय विनीत का नाम सबसे ऊपर था।
नार्वे से इसी साल इन्हें महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय पत्रकारिता पुरस्कार से नवाजा गया। यही नहीं पंडित कमलापति त्रिपाठी राष्ट्रीय पत्रकारिता पुरस्कार के रुप में इन्हें 50 हजार की धनराशि सम्मान स्वरूप दी गई। कलम के असली सिपाही विजय विनीत को काशी पत्रकार संघ पदाधिकारियों ने गैरकानूनी तरीके से हटाने का फरमान जारी कर जहाँ एक ओर संघ के संघीय ढांचे बौना साबित किया है, वहीं दूसरी ओर इस फैसले ने यह साबित कर दिया है, यह संघ अब उन कुछ लोगों के हाथ की कठपुतली बन गया है।
काशी पत्रकार संघ के पदाधिकारियों में कई ऐसे हैं जो हाल के सालों में कभी कलम तक नहीं पकड़ी है। बनारस ही नहीं, यूपी ही नहीं समूचे देश में पत्रकारिता के क्षेत्र में कलम के असली सिपाही के रूप में जाने जाते हैं विजय विनीत। काशी पत्रकार संघ से इन्हें हटाने का तुगलकी फरमान जारी कर फिर एक बार साबित कर दिया है कि काशी पत्रकार संघ में अब कमल के असली सिपाही की जरूरत नहीं है, बल्कि चारण करने वाले भांटो और पण्डों की जरूरत है।
विजय विनीत ने रखी थी ग्रामीण पत्रकार एसोसिएशन की बुनियाद
बताते चलें कि विजय विनीत आज भी खुद को गांव का पत्रकार मानते हैं। वे यह भी मानते हैं की पत्रकार की कलम से बड़ा कुछ भी नहीं होता। न संगठन बड़ा होता है न अखबार। बहुत कम लोग जानते हैं कि यूपी भर में फैले ग्रामीण पत्रकार एसोसिएशन की बुनियाद बालेश्वर लाल और विजय विनीत ने मिलकर रखी थी। ग्रामीण पत्रकार एसोसिएशन की पहली स्मारिका का संपादन भी विजय विनीत ने ही किया था। चाहे तराई का आतंकवाद हो या बदायूं- बरेली का दंगा अथवा पूर्वांचल में नक्सल की समस्या, विजय विनीत की रिपोर्ट्स हमेशा आवाज बनकर उभरी है। ग्रामीण जनजीवन में बदहाल जिंदगियों को सवारने में विजय विनीत एक बड़े वेग साबित हुए हैं। इनकी स्टोरीज को आज भी किस्सागोई के रूप में याद किया जाता है।
कोरोनाकाल में विजय विनीत की पुस्तक 'बनारस लॉकडाउन' ने कोरोना जैसी वैश्विक महामारी से समाज को सावधान के लिए अहम भूमिका निभाई थी । इनकी दूसरी पुस्तक 'बतकहीं बनारस की' जल्द ही प्रकाशित होने वाली है। पिछले तीन दशक में पत्रकारिता करते हुए इन्होंने कई पुस्तकों का लेखन भी किया है।
विजय विनीत को 2020 में पं. कमलापति त्रिपाठी राष्ट्रीय पत्रकारिता पुरस्कार के रूप में मिली 50,000 की धनराशि जिसे इन्होंने कपड़े खिलौने और तमाम जरूरत के सामान गरीबों और जनजाति समूह के लोगों के बीच वितरित कर मानवीय संवेदना की एक मिसाल कायम की है। ढिबरी की तरह टिमटिमाने वाले सूरज को आईना ना दिखाएं तो ही बेहतर है।
जहाँ पत्रकारों को पगहे से खूंटे में बाधाकर मुँह में खोता लगाया जाए ऐसा संघ उन्हें मुबारक हो
क्लाउन टाइम्स से संघ के इस फैसले पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए विजय विनीत ने कहा कि वे ऐसे किसी संगठन से जुड़ना पसंद नहीं करेंगे जहाँ पत्रकारों को पगहे से खूंटे में बाधा जाता हो और मुँह में खोता लगा दिया जाता हो। वे ऐसे किसी गिरोह के साथ काम करना पसन्द नहीं करेंगे जहाँ बोलने और लिखने की आजादी छीन ली जाती है। उन्होंने यह भी कहा कि कोई पत्रकार बड़ा और छोटा नहीं होता, बड़ी होती है उसके कलम की धार। इंडियन प्रेस लॉ के मुताबिक अगूंठा टेक भी हो सकता है पत्रकार और समाज में अपनी बेबाक अभिव्यक्ति प्रकट कर सकता है। गोल गिरोह बनाकर काम करना काशी पत्रकार संघ के मूल्यों, नीतियों और परंपराओं के विपरीत है। उन्होंने यह भी कहा कि वे पत्रकारों के उन सभी कार्यक्रमों में शरीक होते हैं जहाँ उन्हें आदर पूर्वक बुलाया जाता है। चाहे उपजा हो, ग्रापए हो या कोई अन्य संगठन। किसी सांगठनिक खाँचे में कैद होकर पत्रकारिता करना उन्हें कुबूल नहीं है, जो लोग गोल गिरोह बनाने में सिद्धहस्त हैं उन्हें उनका संगठन मुबारक हो।
संघ विरोधी वक्तव्य देने के चलते विजय विनीत को काशी पत्रकार संघ से किया निष्कासित : राजनाथ तिवारी
विजय विनीत के निष्कासन पर काशी पत्रकार संघ के अध्यक्ष राजनाथ तिवारी ने दो टूक शब्दों में कहा कि उन्होंने एक पत्रकार संगठन के कार्यक्रम शिरकत करने के दौरान संघ के विरुद्ध बयानबाजी कर काशी पत्रकार संघ की छवि को धूमिल किया, इसी कारण उन्हें संघ से आजीवन निष्कासित किया गया है।